दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार ने प्रदेश में कोरोना वायरस संक्रमण कम होने के बाद दिल्ली के ऑक्सीजन कोटे को कम करने की मांग की है. अस्पतालों में मरीजों की संख्या कम होने के बाद एक ज़िम्मेदार सरकार की शानदार भूमिका का उदाहरण दिया है. केजरीवाल सरकार ऑक्सीजन कोटा कम करने की मांग करने वाली देश की पहली सरकार है. केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित प्रति बेड ऑक्सीजन की कुल मांग के अनुसार अब दिल्ली को रोज 582 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की ज़रूरत है. अब अस्पतालों से आपात स्थिति में एसओएस कॉल आना भी बंद हो चुकी हैं. अब 24 घंटों में बमुश्किल 1-2 कॉल आती है. जहां तुरंत ऑक्सीजन पहुंचा दी जाती है.
इस वजह से दिल्ली में कम हुई ऑक्सीजन की जरूरत
दिल्ली में अप्रैल के चौथे और मई के पहले सप्ताह में कोरोना संक्रमण की दर तेज़ी से बढ़ी थी. प्रतिदिन 80 हज़ार से एक लाख तक टेस्ट किए जाते थे. रोज 27-28 हज़ार नए कोरोना मामले सामने आते थे. संक्रमण की दर 32 फीसदी तक पहुंच गई थी. लेकिन अब दिल्ली में मरीजों की संख्या घट रही है. संक्रमण दर अब 14 फीसदी है. दिल्ली में कोरोना का संक्रमण बढ़ा तो दिल्ली को प्रतिदिन 700 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की ज़रूरत थी. लेकिन संक्रमण दर के कम होने और अस्पतालों में मरीजों की संख्या कम होने के बाद दिल्ली में अब ऑक्सीजन की मांग भी घट गई है.
दिल्ली को अब 582 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की जरूरत
केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित प्रति बेड ऑक्सीजन की कुल मांग के अनुसार अब दिल्ली को रोज 582 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की ज़रूरत है. अब अस्पतालों से आपात स्थिति में एसओएस कॉल आना भी बंद हो चुकी हैं. अब 24 घंटों में बमुश्किल 1-2 कॉल आती है. जहां तुरंत ऑक्सीजन पहुंचा दी जाती है. इसलिए दिल्ली सरकार ने एक जिम्मेदार सरकार का कर्तव्य निभाते हुए केंद्र सरकार को चिट्ठी लिख कर दिल्ली का ऑक्सीजन आपूर्ति का कोटा घटाकर प्रतिदिन केवल 582 मीट्रिक टन ऑक्सीजन करने की मांग की है. ताकि शेष ऑक्सीजन को बाकी ज़रूरतमंद राज्यों को दिया जा सके.
HIGHLIGHTS
- केजरीवाल सरकार ने दिल्ली में ऑक्सीजन की सप्लाई कम करने को कहा
- केंद्र सरकार से की मांग, ऐसा करने वाली देश की पहली सरकार
- दिल्ली को अब 582 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की जरूरत