दिल्ली में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) में इन दिनों सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। पार्टी संयोजक अरविंद केजरीवाल और संस्थापक सदस्य कुमार विश्वास में जारी वर्चस्व की लड़ाई के बीच 'आप' ने गुरुवार को नेशनल काउंसिल की बैठक बुलाई है।
बैठक को पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया, गोपाल राय, संजय सिंह और आशुतोष संबोधित करेंगे। वहीं तय कार्यक्रम के मुताबिक कवि कुमार विश्वास को बोलने का मौका नहीं दिया जाएगा।
हालांकि पार्टी का कहना है कि कुमार विश्वास को राज्य के प्रभारी के तौर पर बोलने का वक़्त दिया गया है। अपनी बात रखने के दौरान वो अमानतउल्लाह वाले मामले पर बोल सकते है।
कुमार विश्वास के मुताबिक, 2012 में पार्टी की स्थापना के बाद पहला मौका है जब राष्ट्रीय परिषद की बैठक में उनको मुख्य वक्ता नहीं बनाया गया है।
पार्टी की सर्वोच्च बॉडी में से एक 'नेशनल काउंसिल' की बैठक से पहले कुमार विश्वास ने बुधवार को कहा, 'सियासत में तेरा खोया या पाया हो नहीं सकता, तेरी शर्तों पे गायब या नुमाया हो नहीं सकता, भले साजिश से गहरे दफ्न मुझको कर भी दो पर मैं, सृजन का बीज हूं मिट्टी में जाया हो नहीं सकता..!'
और पढ़ें: आप नेता वंदना पटेल समेत 100 कार्यकर्ता कांग्रेस में हुए शामिल
नाम का खुलासा नहीं करने की शर्त पर पार्टी के एक विधायक ने कहा कि बैठक में बढ़ती बेरोजगारी, नोटबंदी और कृषि संकट पर चर्चा होगी। कुमार विश्वास के एक सहयोगी ने बताया कि कुमार भाई एक साधारण कार्यकर्ता के तौर पर राष्ट्रीय परिषद की बैठक में हिस्सा लेंगे।
वहीं अरविंद केजरीवाल खेमे के एक कार्यकर्ता ने कहा कि बैठक योजना के मुताबिक ही होगी और कोई समस्या होने की आशंका नहीं है।
2015 में योगेंद्र-प्रशांत की हुई थी छुट्टी
राष्ट्रीय परिषद 'आप' में फैसले करने वाली दूसरी सबसे बड़ी इकाई है। 2015 में राष्ट्रीय परिषद की बैठक में पार्टी के संस्थापक सदस्य योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण को पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी से बाहर निकाल दिया गया था। दोनों नेताओं ने केजरीवाल के कामकाज के तौर-तरीकों पर सवाल उठाए थे।
पार्टी से निकाले गए नेताओं ने आरोप लगाया था कि राष्ट्रीय परिषद की बैठक में उनसे धक्का-मुक्की और बदसलूकी की गई। केजरीवाल पर दोनों नेताओं ने तानाशाही का आरोप लगाया था।
क्यों नाराज हैं विश्वास?
कुमार विश्वास आप विधायक अमानतुल्लाह खान के निलंबन वापसी से नाराज हैं। उन्होंने कहा है कि अमानतुल्ला खान तो सिर्फ मुखौटा हैं इसके पीछे कहानी कुछ और है। विश्वास ने इशारा किया है कि पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के इशारे पर सबकुछ हो रहा है।
दरअसल पूरी लड़ाई इसी साल अप्रैल के अंत में शुरू हुई थी। ओखला के विधायक अमानतुल्लाह खान ने कहा था, 'कुमार विश्वास ने कुछ विधायकों को बुलाया और कहा कि उन्हें पार्टी का संयोजक बनाया जाना चाहिए।'
उसके बाद उन्होंने विधायकों के सामने दूसरा प्रस्ताव बीजेपी में शामिल होने का रखा, जो प्रत्येक विधायक को 30-30 करोड़ रुपये देने का तैयार है।
खान के आरोपों के बाद विश्वास ने पार्टी छोड़ने के संकेत दिए थे। फिर, उन्हें मनाने की कवायद चली, जिसके बाद कुमार विश्वास को पार्टी की राजनीतिक मामलों की समिति (पीएसी) की बैठक में शामिल होने के लिए अरविंद केजरीवाल के आवास पहुंचे।
खान द्वारा विश्वास पर 'भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) तथा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के इशारे पर' पार्टी को तोड़ने तथा अरविंद केजरीवाल की सत्ता पलटने की साजिश रचने का आरोप लगाने के तीन दिन बाद अमानतुल्लाह को पार्टी से निलंबित करने का फैसला सामने आया।
और पढ़ें: रविशंकर प्रसाद बोले, राहुल का बयान बताता है उनकी अर्थव्यवस्था की समझ
HIGHLIGHTS
- आम आदमी पार्टी की नेशनल काउंसिल की बैठक आज, छिड़ सकता है घमासान
- बैठक में पार्टी से नाराज कुमार विश्वास को बोलने की इजाजत नहीं
- कुमार बोले, सियासत में तेरा खोया या पाया हो नहीं सकता, तेरी शर्तों पे गायब या नुमाया हो नहीं सकता
Source : News Nation Bureau