आम आदमी पार्टी(आप) के राष्ट्रीय नेता और राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने कहा कि अरविंद केजरीवाल और आप नेताओं के खिलाफ आबकारी नीति का मामला आजादी के बाद की सबसे बड़ी राजनीतिक साजिश है. मंगलवार को चंडीगढ़ में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए संजय सिंह ने कहा कि यह मामला एक साजिश के तहत दर्ज कराया गया है. इसमें किसी घोटाले की जांच करने का कोई इरादा नहीं है. मकसद दिल्ली और पंजाब में प्रचंड बहुमत की दोनों आम आदमी पार्टी की सरकारों को गिराना है. यह आम आदमी पार्टी की बढ़ती लोकप्रियता और 10 साल में राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा पाने की उसकी उपलब्धि को रोकने की कोशिश है.
झूठे गवाह तैयार किये गये और बेबुनियाद आरोप लगाये गये
उन्होंने कहा कि अरविंद केजरीवाल के मामले में झूठे गवाह तैयार किये गये और बेबुनियाद आरोप लगाये गये. उन्होंने कहा कि 10-10 बयान दर्ज किए गए लेकिन केवल 2 को ही कोर्ट में पेश किया गया. बाकी सब छुपे हुए हैं क्योंकि वे उनके प्रचार से मेल नहीं खाते. मंगुटा रेड्डी ने 10 बयान दिए. आखिरी दो बयानों में जैसे ही उन्होंने केजरीवाल का नाम लिया, तुरंत उनके बेटे राघव रेड्डी को जमानत मिल गई. संजय सिंह ने कहा कि एक अन्य गवाह चंदन रेड्डी का कान घायल हो गया. उन्होंने उसके कान का पर्दा फाड़ दिया. उन्होंने इसके खिलाफ हाई कोर्ट में अपील भी की. समीर महेंद्रू और अरुण पेल्लू पर अरविंद केजरीवाल का नाम लेने के लिए दबाव डाला गया और उन्हें सूचित किया गया क्योंकि वे इस पूरे मामले को उनके खिलाफ बनाना चाहते थे. उन्होंने कहा कि क्या कारण है कि जिस कंपनी का मुनाफा शून्य है, वह कंपनी आप लोगों को सैकड़ों करोड़ का फंड दे रही है?
जल्द ही अरविंद केजरीवाल को कोर्ट से न्याय मिलेगा
उन्होंने दोहराया कि यह पूरा मामला फर्जी है. यह सिर्फ अरविंद केजरीवाल के खिलाफ राजनीतिक साजिश है. जिन बयानों में अरविंद केजरीवाल का नाम नहीं था, उन्हें जानबूझकर कार्यवाही से बाहर रखा जा रहा है और अदालत के सामने नहीं रखा जा रहा है. यदि सारे तथ्य न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत नहीं किये जायेंगे तो न्याय कैसे मिलेगा? अरविंद केजरीवाल के वकील अपना काम कर रहे हैं. वकील लगातार दस्तावेजों का निरीक्षण कर रहे हैं. उन्होंने उम्मीद जताई कि जल्द ही अरविंद केजरीवाल को कोर्ट से न्याय मिलेगा. उन्होंने आगे कहा कि न्याय व्यवस्था की एक प्रक्रिया होती है और कई बार न्यायिक प्रक्रिया में चूक हो जाती है. पीएमएलए में बहुत सी अनियमितताएं हैं जिनमें कोर्ट के सामने पूरी सच्चाई नहीं रखने पर जमानत मिलने का प्रावधान बहुत मुश्किल है क्योंकि पूरा मामला कोर्ट के सामने नहीं आ रहा है. 20,000 से ज्यादा पन्ने अविश्वसनीय दस्तावेजों में रखे गए हैं यानी 20,000 कागजात ईडी छिपा रही है और कह रही है कि उन्हें उन पर भरोसा नहीं है. लेकिन पीएमएलए की धारा 15 के तहत यह उल्लेख है कि कोई भी गलत बयान नहीं दे सकता है. अगर आप झूठी गवाही देते हैं तो आपके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी. अगर ऐसे बयान हैं जो अविश्वसनीय हैं तो उन बयानों को देने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है? अरविंद केजरीवाल का नाम लेने से पहले एक शख्स ने आठ बयान दर्ज कराए थे, लेकिन केजरीवाल का नाम लेते ही उसके झूठे बयानों पर कार्रवाई की बजाय उसे जमानत मिल गई.
Source : News Nation Bureau