दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी ने सीलिंग तोड़ने के मामले में सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल करते हुए कहा है कि उन्होंने अदालत के किसी आदेश का उल्लंघन नहीं किया है. तिवारी ने आगे कहा है कि यह सीलिंग सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में नहीं बल्कि EDMC के अधिकारियों द्वारा गैरक़ानूनी तरीके से की गई थी. इसलिए कोर्ट की अवमानना का केस नहीं बनता.
मनोज तिवारी ने अपने हलफ़नामे में कहा 'कोर्ट की अवमानना का केस ही नहीं बनता. दिल्ली के लोगों को राहत देने और कानून का राज स्थापित करने के लिए मैं सीलिंग ऑफिसर बनने को तैयार हूं'.
Bharatiya Janata Party leader Manoj Tiwari, today filed an affidavit before the Supreme Court in compliance with the court's earlier order in connection with the breaking of a seal of a locked house in an unauthorised colony in Delhi's Gokalpur on Sep 16.
— ANI (@ANI) October 1, 2018
गौरतलब है कि 16 सितंबर को उत्तर पूर्वी दिल्ली के गोकुलपुर गांव में बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी ने एक मकान की सीलिंग तोड़ी थी. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने उनको अदालत की अवमानना का नोटिस जारी कर 25 सितंबर को उनको अदालत में पेश होने के लिए कहा था. 25 सितंबर की सुनवाई में अदालत ने मनोज तिवारी को फटकार लगाते हुए कहा था कि अगर उन्हें सीलिंग की इतनी जानकारी है तो क्यों ना कोर्ट उन्हें सीलिंग ऑफिसर बना दे!
न्यायमूर्ति मदन बी. लोकुर, न्यायमूर्ति अब्दुल एस. नजीर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता ने तिवारी के इस बयान पर कड़ी आपत्ति जताई कि शीर्ष अदालत द्वारा नियुक्त निगरानी समिति हजारों अनधिकृत इमारतों को सील नहीं कर रही है.
तिवारी द्वारा सील तोड़ने के वीडियो का संदर्भ देते हुए अदालत ने तिवारी से कहा, 'आप अपनी सीडी में कह रहे हैं कि यहां एक हजार स्थान हैं, जो सील होने चाहिए..आप हमें उन स्थानों की सूची दीजिए, हम आपको सीलिंग अधिकारी बना देंगे.' इस दौरान तिवारी अदालत में मौजूद थे.
शीर्ष अदालत ने तिवारी से उनके खिलाफ दाखिल अवमानना याचिका पर हलफनामा दाखिल करने और तीन अक्टूबर को अगली सुनवाई पर मौजूद रहने को कहा.
पीठ ने कहा, 'यह महत्वपूर्ण है कि निर्वाचित सदस्यों को इस अदालत के आदेश का उल्लंघन नहीं करना चाहिए.'
तिवारी के कृत्य को 'दुर्भाग्यपूर्ण' करार देते हुए अदालत ने कहा कि यह परेशान करने वाला है कि शीर्ष अदालत द्वारा दिए गए आदेश पर चल रहे सीलिंग अभियान के बावजूद एक सांसद कथित रूप से कुछ परिसरों की सील तोड़ रहा है.
अवमानना याचिका में तिवारी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की गई है.
निगरानी समिति की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता रंजीत कुमार ने पीठ को बताया कि तिवारी ने मंगलवार को फिर से गांव का दौरा किया और निगम अधिकारियों द्वारा शुरू किए गए सीलिंग अभियान के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया.
पुलिस ने अवैध रूप से ताला तोड़ने के लिए तिवारी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है.
उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 188 और दिल्ली नगर निगम (डीएमसी) अधिनियम की धारा 461 और 465 के तहत मामला दर्ज किया गया है.
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मनोज तिवारी ने दायर हलफनामे में यह भी कहा है कि सुप्रीम कोर्ट अपनी मॉनिटरिंग कमेटी भंग करे तो वह ख़ुद सीलिंग अफ़सर बनने को तैयार हैं.
Source : News Nation Bureau