भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के नेता राकेश टिकैत ने फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिशें लागू कर दिए जाने संबंधी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दावे को शुक्रवार को खारिज किया. साथ ही, टिकैत ने कहा कि किसान आत्महत्या कर रहे हैं क्योंकि उनकी उपज का उन्हें लाभकारी मूल्य नहीं मिल रहा है.
उन्होंने एक संदेश में कहा कि आज की तारीख तक उत्तर प्रदेश में बुंदेलखंड के किसानों को अनाज का एमएसपी नहीं मिल रहा है और वे आत्महत्या कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि स्वामीनाथ कमेटी की रिपोर्ट लागू करने का दावा ‘‘सरासर झूठ’’ है. टिकैत ने एक व्हाट्सएप संदेश में कहा कि केंद्र सरकार ने किसानों को इस बारे में आश्वस्त नहीं किया है कि उन्हें उनकी उपज का न्यूनतम समर्थन मूल्य मिलेगा और हाल ही में केंद्र द्वारा पारित कृषि कानूनों में इसके लिए कोई प्रावधान नहीं किया गया है.
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उन्होंने कहा कि किसान केंद्र द्वारा दी जा रही 500 रुपये महीना की सहायता नहीं, बल्कि अपनी फसल के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की मांग कर रहे हैं. टिकैत ने यह आरोप भी लगाया कि वे (केंद्र) चीनी मिल मालिकों की मदद कर रहे हैं और इससे (गन्ना) किसानों को कोई मदद नहीं मिलने जा रही क्योंकि उन्हें सिर्फ उनका बकाया मिलेगा. प्रधानमंत्री ने शुक्रवार को कृषि कानूनों का बचाव करते हुए कहा कि नये कानूनों से फसलों की एमएसपी प्रणाली खत्म हो जाने संबंधी आरोप पूरी तरह से झूठे हैं.
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मध्य प्रदेश के किसानों को डिजिटल माध्यम से संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार ने स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट लागू की और उत्पादन की लागत का डेढ़ गुना एमएसपी दिया. उन्होंने कहा कि किसानों के प्रति उनकी संवेदनशील सरकार उन्हें अन्नदाता मानती है, ‘‘हमने फाइलों के ढेर में फेंक दी गयी स्वामीनाथन समिति की रिपोर्ट को लागू किया और लागत का डेढ़ गुना एमएसपी किसानों को दिया.’’
Source : Bhasha