भारत दुनिया की कैंसर राजधानी बनता जा रहा है. यह दावा निजी हॉस्पिटल की एक रिपोर्ट में किया गया है. इस रिपोर्ट में अनुमान जताया गया है कि 2025 तक वार्षिक मामलों की संख्या बढ़कर 1.57 मिलियन हो जाएगी. आलम ये है कि गांवों में भी ये बीमारी तेजी से पैर पसार रही है. सबसे ज्यादा कैंसर से बुरे हालात दिल्ली से सटे गौतमबुद्ध नगर जिले के दादरी इलाके में हैं, जहां बड़ी संख्या में लोग इस बीमारी से मर रहे हैं. यहां ऐसा कोई घर नहीं बचा है कि जिसमें इस बीमारी से किसी की मौत न हुई हो. यही वजह कि स्थानीय लोग इस इलाके को ‘कैंसर वाला गांव’ तक कहने लगे हैं. पीड़ित लोगों के दर्द से भरी ये कहानी आपका कलेजा चीर देगी!
आपको ये जानकर हैरानी होगी कि दादरी क्षेत्र के लोग यूं ही नहीं ‘कैंसर वाला गांव’ कहते हैं. बताया गया है कि दादरी क्षेत्र के एक या दो नहीं बल्कि आस-पास के कुल 24 गांवों में कैंसर का आतंक पसरा हुआ है. इन गांव में बड़े पैमाने पर लोग कैंसर से पीड़ित हो रहे हैं. इतनी ही नहीं इन गांवों में कैंसर के चलते लगातार लोगों के मौतें भी हो रही हैं. स्थानीय लोगों की कैंसर से लड़ाई में सबसे बड़ा रोड़ा महंगा इलाज और उनकी आर्थिक तंगी बनी हुई है. यही वजह है कि वो लाख कोशिशों के बावजूद वो काल रूपी कैंसर के जाल से निकल नहीं पा रहे हैं.
इन गांवों में कैंसर से पीड़ित और मरने में वाले लोगों में हर उम्र के लोग शामिल हैं. पुरुष, महिलाएं और बच्चे कोई भी इस बीमारी से अछूता नहीं रहा है. जिस तेजी के साथ लोगों की मौतें हो रही हैं, वो इन गांवों में भयावह होती जा रही स्थिति पर मोहर लगाती है. ऐसे में इन गांवों में कैंसर से निपटने के लिए जल्दी जरूरी कदम उठाए जाने की जरूरत है. पीड़ित परिवार के लोग बताते हैं कि मौजूदा हालात में उनको इस बीमारी के चलते किन हालात का सामना करना पड़ रहा है.
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न्यूज नेशन की टीम ने जाना हाल
न्यूज नेशन की टीम ने ऐसे लोगों से बातचीत की और दादरी तहसील में हालातों का जायजा लिया. स्थानीय लोगों ने न्यूज नेशन संवाददाता अमित चौधरी को बताया कि यहां के 24 गांवों को कैंसर ने जकड़ रखा है. इस दौरान जो कैंसर को लेकर पता चला वो सुनकर आप भी चौंक जाएंगे. लोगों ने बताया कि आप किसी भी घर में चले जाइए, वहां किसी न किसी की मौत कैंसर से जरूर हुई होगी. इतना ही नहीं आज भी कई लोग कैंसर से पीड़ित मिल जाएंगे.
रसूलपुर और आसपास के 24 गांवों में फैली लाइलाज बीमारी
लोगों का कहना है कि रसूलपुर गांव के नजदीक जितने भी गांव हैं, उनमें पिछले एक दशक में अगर किसी की मौत हुई है तो उसमें कैंसर सबसे बड़ा कारण है. लोग यहां कैंसर से मर रहे हैं. न्यूज नेशन संवाददाता ने कैंसर पीड़ित कई मरीजों और उनके परिजनों से बातचीत की और उनकी परेशानी को जानने की कोशिश की. कैंसर पीड़ित एक शख्स के बेटे ने बताया, ‘कुछ महीने पहले तक मेरे पिता ठीक थे, लेकिन पिछले कुछ समय पहले उनकी तबियत खराब हुई तो हम डॉक्टर के पास गए.’
उसने आगे बताया कि, ‘डॉक्टर ने पहले तो पिता का चेकअप किया और फिर डॉक्टर ने कैंसर डिटेक्ट कर दिया. फिर मेरी मां की तबीयत खराब होने लगी. उन्हें भी डॉक्टर के पास ले गए. डॉक्टर ने उन्हें किडनी फेल बता दिया. घर वाले समझ नहीं पा रहे थे कि ये हो क्या रहा है.’ उस युवक के पिता और मां दोनों ही कैंसर से पीड़ित हो गए. ऐसे में जो उस पर बीत रही होगी उसे सिर्फ समझा और महसूस ही किया जा सकता है.
गांवों के हर घरों में कैंसर के मरीज
ऐसे ही एक अन्य शख्स ने बताया कि उसने कैसे अपनी पत्नी को कैंसर के चलते खो दिया. उसने बताया कि, ‘अब तक ठीक थी. अचानक थोड़ी तबियत खराब हुई. डॉक्टर को दिखाया तो उसने कहा कि इनको कैंसर है, वो भी फोर्थ एस्टेज में है.’ इसके 10 दिन बाद उसकी मौत हो गई. यह बताते हुए उस शख्स की आंखों नम हो गईं. आगे की पड़ताल में न्यूज नेशन को पता चला कि एक परिवार ऐसा भी था, जिसने कैंसर की वजह से तीन लोगों को खो दिया था. इसके बाद उस परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा था. वह परिवार आजतक इस दर्द से उभर नहीं पाया है.
(दादरी के ग्राउंड जीरो से अमित चौधरी की रिपोर्ट)