ऑक्सीजन पर घटिया राजनीति ने मरीजों के परिजनों की उड़ाई नींद: अलका लांबा

अलका लांबा ने कहा कि, दिल्ली सरकार ने पत्रकार वार्ता के समय तक यह स्पष्ट नहीं किया कि उन अस्पतालों में ऑक्सीजन पहुंची है या नहीं, जबकि एक दिन पूर्व खुद मुख्यमंत्री समेत तमाम आम आदमी पार्टी से जुड़े लोगों ने दिल्ली में स्वास्थ्य आपातकाल जैसी हालात पैदा कर दिए थे.

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Ravindra Singh
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अलका लांबा( Photo Credit : आईएएनएस)

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दिल्ली में बढ़ते कोरोना मामले और ऑक्सीजन की कमी पर राजनीति गर्माने लगी है, दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमिटी की प्रेस वार्ता में अलका लांबा ने कोरोना संक्रमण पर दिल्ली सरकार की नीतियों को नाकाम बताया है. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर आरोप लगाते हुए लांबा ने कहा कि, ट्वीट-ट्वीट खेलकर सोई हुई सरकारों ने दिल्ली की आम जनता व मरीजों को सदमे में डालने का काम किया. इस दौरान अलका लांबा ने कहा कि, दिल्ली सरकार ने पत्रकार वार्ता के समय तक यह स्पष्ट नहीं किया कि उन अस्पतालों में ऑक्सीजन पहुंची है या नहीं, जबकि एक दिन पूर्व खुद मुख्यमंत्री समेत तमाम आम आदमी पार्टी से जुड़े लोगों ने दिल्ली में स्वास्थ्य आपातकाल जैसी हालात पैदा कर दिए थे.

लांबा ने केंद्र सरकार द्वारा पिछले एक साल के दौरान 9294 मीट्रिक टन निर्यात करने व 50,000 मीट्रिक टन आयात करने को लेकर एचएलएल के द्वारा जारी टेंडर पर प्रियंका गांधी के ट्वीट के हवाले से मोदी सरकार की नीति पर भी सवाल उठाया. उन्होने कहा कि, कोरोना की लहर से पूर्व व बाद के एक साल में भारत सरकार ने ऑक्सीजन का निर्यात दोगुनी कर दिया. आज ऑक्सीजन की कमी से हुई मौतों का जिम्मेदार कौन है?

अलका लांबा के अनुसार, केजरीवाल बेड बढ़ाने की घोषणा करते हैं, लेकिन उसके अनुपात से आईसीयू, वेंटिलेटर पर चुप रहते हैं. दिल्ली सरकार द्वारा जारी कोरोना एप के हवाले से लांबा ने कहा कि, इस एप पर पिछले कुछ दिनों से दिल्ली सरकार के अस्पतालों में एक भी आईसीयू, वेंटीलेटर खाली नहीं हैं, इसको लेकर क्यों दिल्ली सरकार चुपचाप तमाशा देख रही, जबकि गंभीर मरीज हस्पतालों के चक्कर काट रहे हैं.

वहीं दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली के अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी है. इसमें दो मुख्य बात है. दिल्ली में ऑक्सीजन का जितना कोटा पहले तय किया था, मरीज अचानक बढ़ने से ज्यादा ऑक्सीजन की जरूरत है. केंद्र सरकार ऑक्सीजन को कंट्रोल करती है. राज्य सरकार का ऑक्सीजन पर अधिकार नहीं है. यह हमेशा से होता रहा है. कोविड के दौरान हालात ज्यादा गंभीर हो रही है. कोरोना के मरीज बढ़ रहे हैं. आसपास के राज्यों से आकर मरीज दिल्ली में इलाज करा रहे हैं. 378 मीट्रिक टन से 700 मीट्रिक टन तक कोटा कर दिया जाए. इस दिशा में भारत सरकार ने कदम नहीं उठाया. केंद्र और राज्य सरकार ने मिलकर कोरोना के खिलाफ लड़ाई लड़ी है.

HIGHLIGHTS

  • ऑक्सीजन पर हो रही घटिया राजनीति
  • अलका लांबा ने सरकार पर साधा निशाना
  • ऑक्सीजन की कमी से हुई मौतों का जिम्मेदार कौन?
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