दिल्ली की राजनीति में आपसी टकराव कोई नई बात नहीं है और एक बार फिर दिल्ली सरकार व केंद्र में ठनती हुई नजर आ रही है. इस बार मुद्दा है दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का सिंगापुर दौरा. दरअसल, इस महीने के अंत में मुख्यमंत्री केजरीवाल को वर्ल्ड सिटी सबमिट के लिए सिंगापुर जाना है. इसके लिए 7 जून को मुख्यमंत्री कार्यालय ने केंद्र की मंजूरी के लिए फाइल उपराज्यपाल के दफ्तर में भेजी थी, लेकिन अब तक इस पर मोहर लगकर फाइल वापस नहीं भेजी गई है. इसके बाद रविवार को अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखकर आपत्ति जताई है.
मुख्यमंत्री ने चिट्ठी लिखकर प्रधानमंत्री को कहा कि मुझे बेहद दुःख के साथ कहना पड़ रहा है कि मुझे अभी तक सिंगापुर जाने की अनुमति नहीं दी गई है. मैंने जून को लगभग सवा महीने पहले अनुमति मांगने के लिए पत्र लिखा था. अभी तक कोई जवाब नहीं आया. इस तरह से किसी प्रदेश के मुख्यमंत्री को इतने महत्वपूर्ण मंच पर जाने से रोकना सही नहीं है.
इसके साथ मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को अमेरिका का वीजा ना दिए जाने के मामले का उल्लेख करते हुए लिखा कि देश के भीतर हमारे राजनीतिक मतभेद हो सकते हैं, लेकिन बाहर दुनिया के सामने हमें अपने मतभेद भूलकर केवल देशहित को सामने रखना चाहिए. जब आप गुजरात के मुख्यमंत्री थे और जब अमेरिका ने आपको वीजा देने से मना किया था तो पूरे देश ने अमेरिका के इस कदम की आलोचना की थी और आपका साथ दिया था. आज जब आपकी सरकार किसी मुख्यमंत्री को इतने महत्वपूर्ण मंच पर जाने से रोकती है तो ये देशहित के खिलाफ है.
भारत के लिए ये गौरव की बात है कि पूरी दुनिया आज दिल्ली के शिक्षा और स्वास्थ्य के मॉडल से इतनी प्रभावित है. अरविंद केजरीवाल ने ये भी दोहराया कि सिंगापुर में होने वाले सबमिट दिल्ली मॉडल के स्कूल, अस्पताल, मोहल्ला क्लिनिक, फ्री बिजली आदि के बारे में बताएंगे तो सिंगापुर यात्रा से देश का गौरव और मान बढ़ेगा.
आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने भी ये मुद्दा सर्वदलीय बैठक में जमकर उठाया. सांसद संजय सिंह ने सर्वदलीय बैठक में इस मुद्दे पर बोलते हुए कहा कि देश में संघीय ढांचे को लगातार चोट पहुंचाई जा रही है. ईडी-सीबीआई का दुरुपयोग करके विपक्ष के नेताओं को फर्जी फंसाया जा रहा है. दिल्ली में सत्येंद्र जैन को 2 महीने से जबरन गिरफ्तार करके रखा गया है, ललित मोदी फोटो डालकर सरकार को चिढ़ा रहा है, लेकिन सरकार कुछ नहीं करती. वहीं, एक मुख्यमंत्री जब देश के अच्छे मॉडल को दुनिया के सामने रखने के लिए जाना चाहता है तो उसे जाने की मंजूरी तक नहीं दी जाती.
महत्वपूर्ण ये है कि ये पहला मौका नहीं है जब अरविंद केजरीवाल की विदेश यात्रा को मंजूरी नहीं दी गई है. इससे पहले 2019 में डेनमार्क में होने वाले सी-40 सब्मिट में जाने की भी मंजूरी केंद्रीय गृह मंत्रालय ने नहीं दी थी. इसके बाद विवाद काफी बढ़ गया था और अब फिर ये विवाद बढ़ता दिख रहा है.
Source : Mohit Bakshi