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गिरमिटिया महोत्सव के मंच पर फिजी, मॉरीशस और भारत के रंग

गिरिमिटिया फाउंडेशन के गिरिमटिया महोत्सव में अपनी बात रखते हुए मॉरीशस की उच्चायुक्त एसबी हनुमान ने कहा कि गिरिमिटिया परिवार से हूं ,मैं अपने पुरखों की चौथी पीढ़ी में हूं ,मुझे अपनी पहचान पर गर्व है.

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Vijay Shankar
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Girmitiya Mahotsav in Delhi

Girmitiya Mahotsav in Delhi( Photo Credit : News Nation)

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फिज़ी के भारतवंशी गिरमिटियों के रग-रग में भारत भाव है. गिरिमिटिया पुरखों की पीढ़ियां भले ही बदल गई है पर उनके दिए संस्कार और उनका भारतपन आज भी उनकी संतानों के मन जीवन और आचरण में शत प्रतिशत मौजूद है, ये कहना था भारत में रिपब्लिक ऑफ फिज़ी के उच्चायुक्त कमलेश शशि प्रकाश का. दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में गिरिमिटिया महोत्सव 2021 में अपने गिरिमिटिया पहचान पर बोलते वक़्त फिज़ी के हाई कमिश्नर ने फिज़ी में भारतीय पताकाओं की समग्रता में व्याख्या की.

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गिरिमिटिया फाउंडेशन के गिरिमटिया महोत्सव में अपनी बात रखते हुए मॉरीशस की उच्चायुक्त एसबी हनुमान ने कहा कि गिरिमिटिया परिवार से हूं ,मैं अपने पुरखों की चौथी पीढ़ी में हूं ,मुझे अपनी पहचान पर गर्व है. गिरमिटियों की यात्रा संकट से शुरू हुई और आज सफलता के शिखर की ओर है, हमारी इस यात्रा में कामयाबी के कई पत्थर मौजूद है. मॉरीशस समेत सभी गिरिमिटिया देशों के भारतवंशी गिरमिटियों की गाथा भारत की नई पीढ़ी जरूर जानना चाहिए. महोत्सव को संबोधित करते हुए राज्यसभा सांसद और पूर्व आईपीएस अधिकारी बृजलाल ने कहा कि मॉरीशस, फिज़ी, गयाना, सूरीनाम, त्रिनिदाद समेत कैरिबियन समूह के देशों में अपनी पहचान और परम्परा को अक्षुण रखने वाले गिरमिटियों की कहानी संकटों को मात देकर सफलता का सोपान हासिल करने की कहानी है और इस कहानी की बुनियाद में हिंदुस्तान है.

देश छूटने के बाद भी अपनी संस्कृति को जिंदा रखा

दासप्रथा के उन्मूलन के बाद गोरों ने शर्तबंद कुली का कानून बना कर जो जख्म मानवता के सीने पर चस्पा किया उसकी पीड़ा भारत और खास तौर पर उत्तरप्रदेश और बिहार के लोग कभी भूल नहीं सकते हैं. औद्योगिक क्रांति के दौरान बर्तानिया राज को भारी संख्या में मजदूरों की जरूरत थी. इन जरूरत को पूरा करने के लिए ब्रिटिश शासन अविभाजित हिंदुस्तान से मेहनतकश लोगों को मजदूर बनाकर ले जाते थे. बाद में इन्ही मजदूरों को गिरमिटिया मजदूर कहा जाने लगा. इन मजदूरों ने पराये देशों को अपना बनाया. इनकी मिट्टी तो इनसे छूट गई लेकिन इन्होंने अपनी संस्कृति को जिंदा रखा. अपने परिश्रम औऱ कौशल के बल पर ये लोग आज दुनिया मे विभिन्न देशों में अपना व्यापक प्रभावक्षेत्र स्थापित कर चुके हैं.

हास्य कवि शंभू शिखर ने लोगों को खूब गुदगुदाया

गिरमिटिया लोगों का यह सम्मेलन उन्ही यादों को ताजा कर देता है, साथ ही भविष्य के लिये भी एक गोल सेट करता है. गिरिमिटिया महोत्सव के दौरान गिरिमिटिया एक करुण कथा नाम की लघु फिल्म का मंचन किया गया. इस दौरान गिरमिटियों की आभाव से प्रभाव तक की यात्रा को समझने के लिए गिरिमिटिया गीतों की एक श्रृंखला का आयोजन भी किया गया. इस कार्यक्रम को भोजपुरी की लोकप्रिय गायिका चंदन तिवारी ने अपने साथियों के साथ स्वरबद्ध किया. महोत्सव के दौरान गिरमिटियों की पीड़ा हास्य में प्रस्तुत कर हास्य कवि शंभू शिखर ने आयोजन के दौरान लोगों को खूब गुदगुदाया.

HIGHLIGHTS

  • दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में गिरिमिटिया महोत्सव-2021 का आयोजन
  • फिज़ी के उच्चायुक्त ने कहा- पुरखों की पीढ़ियां भले ही बदली पर उनके दिए संस्कार कायम
  • महोत्सव के दौरान गिरिमिटिया एक करुण कथा नाम की लघु फिल्म का मंचन किया गया 

Source : Madhurendra Kumar

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