कांग्रेस (Congress) की आंतरिक कलह उसके अस्तित्व पर गंभीर संकट बनकर मंडरा रही है. लंबे समय बाद तीन राज्यों की सत्ता पर काबिज होने वाली देश की सबसे पुरानी पार्टी के हाथ से मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) निकल चुका है और राजस्थान (Rajasthan) से भी लगभग हाथ धो बैठी है. करेला वह भी नीम चढ़ा की तर्ज पर इसके साथ ही अंदरूनी स्तर पर पार्टी नए-पुराने के संघर्ष में उलझी है. इस बीच कांग्रेस से दिग्गज नेताओं का टूटना बाकी है. नए घटनाक्रम में अब उत्तराखंड के पूर्व राज्य मंत्री समेत दो दिग्गज कांग्रेसी भारतीय जनता पार्टी (BJP) का हाथ थाम चुके हैं.
प्रदेश अध्यक्ष श्री @adeshguptabjp की उपस्थिति में पूर्व राज्य मंत्री उत्तराखंड एवं पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष किसान कांग्रेस रामकुमार वालिया, पूर्व राष्ट्रीय महासचिव किसान कांग्रेस संजय कपूर, दिल्ली दिगंबर जैन समाज के अध्यक्ष पीडी जैन अपने समर्थकों के साथ भाजपा में शामिल हुए। pic.twitter.com/gY6LzfVe4L
— BJP Delhi (@BJP4Delhi) August 7, 2020
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रामकुमार वालिया और संजय कपूर बीजेपी में शामिल
उत्तराखंड के पूर्व राज्य मंत्री सहित दो कांग्रेस नेता शुक्रवार को यहां भाजपा में शामिल हो गए. दिल्ली प्रदेश कार्यालय में अध्यक्ष आदेश कुमार गुप्ता ने उन्हें पार्टी की सदस्यता दिलाई. दिल्ली दिगंबर जैन समाज के अध्यक्ष पीडी जैन भी अपने समर्थकों के साथ भाजपा में शामिल हुए. प्रदेश अध्यक्ष आदेश कुमार गुप्ता की मौजूदगी में उत्तराखंड के पूर्व राज्य मंत्री और किसान कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रामकुमार वालिया के अलावा किसान कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय महासचिव संजय कपूर, दिल्ली दिगंबर जैन समाज के अध्यक्ष पीडी जैन भाजपा में शामिल हुए.
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बीजेपी का आप सरकार पर निशाना
इस दौरान आदेश कुमार गुप्ता ने कहा कि रामकुमार वालिया के पार्टी में शामिल होने से उनकी गतिशीलता और सक्रियता से पार्टी को नई दिशा और मजबूती मिलेगी. उन्होंने कहा, हम मिलकर दिल्ली की समस्याओं पर संघर्षात्मक एवं सकारात्मक रूप से काम करेंगे. इस दौरान गुप्ता ने केजरीवाल सरकार पर भी निशाना साधा. उन्होंने कहा कि केजरीवाल का शिक्षा मॉडल पूरी तरह पूरी तरह खोखला है. सिर्फ दो और तीन स्कूलों की तस्वीर दिखाकर केजरीवाल सरकार दिल्ली में शिक्षा क्रांति लाने का दावा करती रहती है. हकीकत यह है कि सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या कम हो रही है, बीते 4 सालों में सरकारी स्कूलों में डेढ़ लाख बच्चे कम हो गए.