दिल्ली के पिछले विधानसभा चुनाव में खाता न खोल पाने वाली देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस का यहां एक बार फिर सूपड़ा साफ हो गया. वह न सिर्फ खाता खोलने में विफल रही, बल्कि 63 सीटों पर तो उसके उम्मीदवारों की जमानत भी जब्त हो गई. पार्टी ने कुछ चुनिंदा सीटों से उम्मीद लगा रखी थी लेकिन उन पर भी उसे निराशा ही हाथ लगी. हालांकि उसका कहना है कि वह इस हार से हताश नहीं है और अब अपने संगठन का नवनिर्माण करेगी. कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, ‘ हम निराश नहीं हैं. कांग्रेस को जमीनी स्तर पर और नए सिरे से मजबूत करने का संकल्प दृढ़ हुआ है. कांग्रेस के कार्यकर्ता और साथियों को हम धन्यवाद देते हैं. हम नवनिर्माण का संकल्प लेते हैं.’
शीला दीक्षित के नेतृत्व में 15 साल तक सत्ता में रही कांग्रेस को पिछली बार की तरह इस बार भी एक भी सीट नहीं मिली. इस बार उसकी इतनी बुरी हालत रही कि कांग्रेस का मत प्रतिशत पांच से नीचे आ गया और 63 सीटों पर उसके उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई. बादली, गांधीनगर और कस्तूरबा नगर में उसकी जमानत बची. उसने कुल 66 सीटों पर चुनाव लड़ा था और चार सीटें सहयोगी राजद के लिए छोड़ दी थीं. पिछले बार के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को कोई सीट नहीं मिली थी और उसे करीब 10 प्रतिशत वोट ही मिले थे. हालांकि 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में उसे 22.46 फीसदी वोट मिले थे और वह दूसरे स्थान पर रही थी.
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वैसे, इस चुनाव से पहले ही प्रदेश कांग्रेस के नेता आपसी बातचीत में मान रहे थे कि विधानसभा की 70 सीटों में इस बार कुछ एक को छोड़ कर लगभग सभी जगह आम आदमी पार्टी (आप) और भाजपा के मुकाबले वह संघर्ष में ही नहीं है. उल्लेखनीय है कि कुछ दिन पहले पार्टी के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने माना था कि कांग्रेस अपने दम पर सरकार नहीं बना सकती, लेकिन सरकार बनाने में इसका अहम किरदार हो सकता है. नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) विरोधी प्रदर्शनों का खुलकर समर्थन कर रही कांग्रेस को उम्मीद थी कि उसे मुस्लिम वोटरों का भरपूर समर्थन मिलेगा और ऐसे में वह पिछले चुनाव के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन करेगी, लेकिन अब भाजपा और आप के बीच सीधे मुकाबले में उसका सफाया हो गया. हालात को देखते हुए ही शायद कांग्रेस के चुनावी प्रबंधकों ने पूरी ताकत झोंकने से परहेज किया.
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कांग्रेस शीर्ष नेता राहुल गांधी व प्रियंका गांधी वाड्रा भी दिल्ली में मतदान के ठीक दो-तीन दिन पहले ही प्रचार में उतरे. राहुल ने जंगपुरा, संगम विहार, चांदनी चौक और कोंडली में चुनाव प्रचार किया था. प्रियंका ने चांदनी चौक और संगम विहार में प्रचार किया था. इन सीटों पर कांग्रेस को करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा और उसके उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई. चुनाव से पहले जिन सीटों पर कांग्रेस की मौजूदगी दिख रही थी उनमें ओखला, बल्लीमारान, सीलमपुर और मुस्तफाबाद की सीटें शामिल हैं. बता दें कि इन सीटों पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं. इनके अलावा पार्टी गांधीनगर और बादली जैसे क्षेत्रों में भी कांग्रेस खुद को लड़ाई में मान रही थी. लेकिन इनमें से कहीं भी कांग्रेस उम्मीदवार सफल नहीं हो सके.