दिल्ली में 16,500 पेड़ों के काटे जाने पर लगी रोक के बाद मंगलवार को पर्यावरणविदों ने राष्ट्रीय भवन निर्माण निगम (एनबीसीसी) पर अदालत की अवमानना का केस दर्ज करवाया है।
सोमवार को दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के बाद पेड़ों की कटाई पर 4 जुलाई तक रोक लगी थी।
दिल्ली के पर्यावरणविद विमलेन्दु झा ने कहा कि एनबीसीसी ने हाई कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया और मंगलवार को भी पेड़ काटने का काम जारी रखा।
विमलेन्दु झा ने कहा, 'आज सुबह (मंगलवार) को दिल्ली के नेताजी नगर में देखने आए थे क्योंकि हमें भरोसा नहीं था कि एनबीसीसी दिल्ली होई कोर्ट द्वारा पेड़ काटे जाने पर लगे अंतरिम प्रतिबंध को मानेगा। सुबह 11 बजे एनबीसीसी के ठेकेदार पेड़ पर चढ़कर पेड़ को गिरा रहे थे।'
विमलेन्दु ने कहा, 'हमने पीसीआर को बुलाया और पुलिस ने एक सुपरवाइजर को हिरासत में लिया है। हमने कोर्ट के आदेश नहीं मानने के खिलाफ एनबीसीसी के खिलाफ अदालत की अवमानना का केस दर्ज कराया है। एनबीसीसी प्रोजेक्ट के तहत नेताजी नगर में पेड़ काटते हुए हमने देखा।'
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री इमरान हुसैन ने कहा है कि उन्हें दिल्ली हाई कोर्ट के द्वारा लगी रोक के बाद भी पर्यावरण कार्यकर्ताओं से पेड़ काटे जाने की शिकायत मिली है।
मंत्री ने वन विभाग को निर्देश दिया है कि इसके लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया जाय।
पेड़ों की कटाई के खिलाफ रविवार को दिल्ली में हुए विरोध प्रदर्शन भी हुए।
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने दक्षिण दिल्ली की छह कॉलोनियों के पुनर्विकास के लिए 16,500 पेड़ों की कटाई की स्वीकृति दी थी।
जस्टिस विनोद गोयल और जस्टिस रेखा पल्ली की एक बेंच ने एनबीसीसी को सुनवाई की अगली तारीख चार जुलाई तक पेड़ों को नहीं काटने का निर्देश दिया।
अदालत ने याचिकाकर्ता को इन आवासीय परियोजनाओं के लिए पेड़ों को काटने की अनुमति देने वाले अधिकारियों द्वारा पारित आदेशों को चुनौती देने की भी अनुमति दी।
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याचिकाकर्ता ने पर्यावरण मंत्रालय द्वारा परियोजना को दी गई पर्यावरण मंजूरी व संदर्भ शर्तों को रद्द करने की मांग की। याचिकाकर्ता ने कहा कि इससे 16,500 से ज्यादा पेड़ों को काटना होगा।
कौशल कांत मिश्रा की याचिका में कहा गया है कि दक्षिण दिल्ली की छह कॉलोनियों में जहां पेड़ों को काटा जाना है, उनमें सरोजनी नगर, नौरोजी नगर, नेताजी नगर, त्यागराज नगर, मोहम्मदपुर व कस्तूरबा नगर शामिल हैं।
इन सभी इलाकों में सरकारी कर्मचारियों के लिए घर हैं, जहां केंद्र सरकार 1950 में बनाए गए घरों को गिरा रही है और उन्हें ऊंची इमारतों में बदल रही है।
एनबीसीसी के अलावा परियोजना को केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (सीपीडब्ल्यूडी) भी क्रियान्वित कर रहा है।
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HIGHLIGHTS
- दिल्ली में 16,500 पेड़ों की कटाई पर हाई कोर्ट ने 4 जुलाई तक लगाई थी रोक
- हाई कोर्ट के आदेश का पालन नहीं करने पर एनबीसीसी के खिलाफ केस दर्ज
- दक्षिण दिल्ली की छह कॉलोनियों में आवासीय परियोजनाओं के लिए पेड़ों को काटा जाना है
Source : News Nation Bureau