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Sex Workers की हेल्प के लिए आगे आए कई हाथ, लेकिन...

कोरोना वायरस (CoronaVirus Covid-19) महामारी और देशव्यापी लॉकडाउन के बीच रेडलाइट इलाके जीबी रोड में रहने वाली यौनकर्मियों की दिक्कतों को देखते हुए अब कई गैर सरकारी संगठन उनकी मदद के लिये आगे आये हैं लेकिन अभी भी उनके सामने असल चुनौती छोटे छोटे कोठों म

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Vineeta Mandal
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Sex Workers( Photo Credit : (सांकेतिक चित्र))

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कोरोना वायरस (CoronaVirus Covid-19) महामारी और देशव्यापी लॉकडाउन के बीच रेडलाइट इलाके जीबी रोड में रहने वाली यौनकर्मियों की दिक्कतों को देखते हुए अब कई गैर सरकारी संगठन उनकी मदद के लिये आगे आये हैं लेकिन अभी भी उनके सामने असल चुनौती छोटे छोटे कोठों में रहने वाली हरेक महिला तक पहुंचने की है. ‘पीटीआई-भाषा’ ने छह अप्रैल को वहां जाकर कई यौनकर्मियों से बात करके उनके हालात पर खबर दी थी जिसके बाद उन्हें कई संगठनों ने राशन, दवायें, सेनिटरी नैपकिन और सेनिटाइजर्स उपलब्ध कराये, लेकिन लॉकडाउन में विस्तार के बाद उन्हें नये सिरे से मदद की दरकार है.

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वहां रहने वाली एक यौनकर्मी ने बताया , '24 मार्च से लॉकडाउन शुरू होने के बाद एक सप्ताह तो हालात काफी खराब थे लेकिन अप्रैल से मदद मिलनी शुरू हुई और करीब करीब हर कोठे में किसी न किसी संस्था ने राशन पहुंचाया है . लेकिन समस्या अभी भी रसोई गैस और कैरोसीन की है जो किसी के पास नहीं बचा है और ना ही खरीदने के पैसे हैं.'

वहीं भारतीय पतिता उद्धार सभा के दिल्ली ईकाई के सचिव इकबाल अहमद ने कहा , 'यहां पूरे जीबी रोड पर कुल 22 संकरे जीनों (सीढियों) में 86 कोठे हैं और हर एक तक पहुंच पाना आसान नहीं है . लेकिन पिछले एक पखवाड़े में कई संस्थाओं ने और लोगों ने व्यक्तिगत स्तर पर भी मदद की है .'

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, एनजीओ प्रयास, कटकथा , सुपर सिख फाउंडेशन, पुलिस परिवार कल्याण समाज जैसी संस्थाओं और कई लोगों ने व्यक्तिगत स्तर पर यहां सहायता की है . ‘प्रयास’ के प्रोजेक्ट निदेशक विश्वजीत घोषाल ने बताया, 'हमारा प्रोजेक्ट यहां पहले से चल रहा था और यौनकर्मियों के बच्चे हमारे कार्यकर्ता के रूप में काम करते हैं . उनके और पुलिस के मार्फत हमने पहले चरण में वहां 250 महिलाओं तक राशन किट पहुंचाई और अब दूसरे चरण की तैयारी है.'

उन्होंने कहा ,‘‘ पहले चरण में संसाधन जुटाने में परेशानी नहीं आई लेकिन दूसरे लॉकडाउन के बाद दिक्कत आ रही है क्योंकि कॉरपोरेट, पीएसयू कहते हैं कि हम पीएमकेयर्स फंड में दान दे रहे हैं . हमारा लक्ष्य दूसरे चरण में इस सप्ताह 800 यौनकर्मियों तक पहुंचने का है .’’ वहीं कुछ साल से यौनकर्मियों की बेहतरी के लिये काम कर रहे संगठन ‘कटकथा’ की संस्थापक गीतांजली बब्बर ने बताया कि उन्होंने जनभागीदारी के जरिये ऑनलाइन पैसा जुटाने की मुहिम शुरू की है और संगठन मिलकर अधिकतम महिलाओं तक पहुंचने की कोशिश कर रहा है.

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उन्होंने कहा, 'हमने एसडीएम के सहयोग से शुरू में पका हुआ खाना कुछ दिन भेजा . पिछले रविवार को हमने गूंज, नो टियर्स फाउंडेशन समेत कई अन्य संगठनों के साथ मिलकर 750 किट वहां भिजवाईं जिसमें एक महीने का राशन, साबुन, बच्चों का खाने पीने का सामान, सेनिटाइजर्स शामिल थे.'

उन्होंने कहा, ' इससे पहले सभी तक सामान नहीं पहुंच पा रहा था क्योंकि ये दीदियां डर के मारे नीचे नहीं आ रही थी. अभी भी कैरोसीन, गैस और पके हुए भोजन की जरूरत है. हम कोशिश कर रहे हैं कि वहां दीदियों को दूसरे काम में जोड़ा जाये ताकि वे कुछ पैसा कमा सके.' सबसे पहले मदद का हाथ बढाने वालों में आरएसएस की सेवा भारती शामिल थी जिसने करीब एक हजार यौनकर्मियों को तीन अप्रैल को ही दस दिन का राशन पहुंचाया था और अब दूसरे चरण में मदद पहुंचायेंगे .

सेवा भारती की दिल्ली ईकाई के संगठन सचिव सुखदेव भारद्वाज ने बताया, 'हमने 250 किट में दाल, चावल, आटा, मसाले, साबुन, तेल, सब्जी, चाय पत्ती वगैरह भेजा था. इन्होंने हमारी 24 घंटे की हेल्पलाइन पर संपर्क किया था और अब दोबारा मांग को देखते हुए हम अगले चरण में फिर जायेंगे.' ‘सुपर सिख फाउंडेशन’ की गुरप्रीत वासी ने जरूरी सामान देने के साथ इन महिलाओं को सामाजिक दूरी बनाये रखने और सफाई को लेकर जानकारी दी है.

उन्होंने कहा, 'हमने उनकी हालत के बारे में पढ़ने के बाद वहां कई दिन गुरुद्वारे में पका हुआ लंगर बंटवाया . इसके अलावा सेनिटरी नैपकिन और खाने का सामान भी दिया लेकिन कोशिश कर रहे हैं कि रसोई गैस या कैरोसीन का इंतजाम कर सकें ताकि इन्हें भोजन के लिये मोहताज नहीं रहना पड़े.' दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने इनके हालात पर पुलिस से छह अप्रैल तक रिपोर्ट मांगी थी लेकिन बार बार प्रयास के बावजूद इस बारे में उनसे संपर्क नहीं हो सका .

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