देश की राजधानी दिल्ली में इस बार भी ग्रीन क्रैकर्स (Green Crackers) का धंधा मंदा नजर आ रहा है, इसकी दो बड़ी वजह है एक तो जाहिर तौर पर कोरोना इफेक्ट है. दूसरा डिमांड के मुताबिक ग्रीन क्रैकर्स नहीं बन रहे हैं, हालांकि बच्चों के लिए राहत की बात यह है कि थोक बाजार में जो ग्रीन क्रैकर्स उपलब्ध है, उसकी कीमतें इस साल बहुत ज्यादा नहीं है, जिसमें स्काई शॉट्स, फुलझड़ी चकरी जैसी बच्चों की आइटम शामिल है. थोक में ग्रीन क्रैकर्स की एक फुलझड़ी महज 1.50 रुपये की पड़ रही है. दिल्ली में पटाखों की थोक मार्केट सदर बाजार में इस बार सिर्फ ग्यारह थोक विक्रेताओं को ग्रीन क्रैकर्स बेचने के लाइसेंस मिले हैं, यह संख्या कुछ साल पहले तक 40 होती थी.
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पिछले साल सदर बाजार में ग्रीन क्रैकर्स बेचने के लिए 22 थोक विक्रेताओं को मिले थे लाइसेंस
पिछले साल ग्रीन क्रैकर्स के अलावा सभी तरह के पटाखे बैन होने के बाद 22 थोक विक्रेताओं को सदर बाजार में ग्रीन क्रैकर्स बेचने के लिए लाइसेंस मिले थे, लेकिन इस बार वह भी आधे रह गए हैं. दिल्ली में जामा मस्जिद और सदर बाजार पटाखों की थोक मार्केट है. सदर बाजार ग्रीन क्रैकर्स एसोसिएशन के जनरल सेक्रेटरी हरजीत सिंह छाबड़ा ने बताया कि इस बार सदर बाजार से सिर्फ 14 लोगों ने लाइसेंस के लिए अप्लाई किया था जिनमें से 11 को अनुमति मिली. कोरोना की वजह से बहुत से विक्रेताओं ने ग्रीन क्रैकर्स के लाइसेंस के लिए अप्लाई ही नहीं किया, उसकी एक वजह यह है की डिमांड के मुताबिक ग्रीन क्रैकर्स नहीं बनते हैं, जो बन रहे हैं उनकी डिमांड ज्यादा नहीं है, कुल मिलाकर काम पिछले साल से भी ज्यादा मंदा है.
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थोक विक्रेता हरजीत सिंह ने बताया की इस बार ग्रीन क्रैकर्स में एक नई आइटम आई है, इसके अलावा कुछ और आइटम है जो डिमांड में रहती हैं, उनके अनुमानित दाम भी बताएं जो बहुत ज्यादा नहीं है. बाजार के जनरल सेक्रेटरी ने सदर में भीड़ और कोरोनावायरस आवास सुरक्षा इंतजामों पर भी सवालों के जवाब दिए, जिसमें उन्होंने पुलिस के साथ मिलकर किए गए इंतजामों के बारे में बताया है.