दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को दिल्ली पुलिस से पिंजरा तोड़ संगठन की एक सदस्य के वीडियो दिखाने को कहा जिनमें वह कथित तौर पर उत्तर पूर्व दिल्ली में इस साल सांप्रदायिक हिंसा के दौरान भड़काऊ भाषण दे रही हैं. हालांकि पुलिस ने कहा कि उनके पास उस समय के वीडियो नहीं हैं जब समूह की सदस्य और जेएनयू छात्रा देवांगना कलिता कथित तौर पर दंगों के दौरान कथित तौर पर भड़काऊ भाषण दे रही थीं. पुलिस ने कहा कि उसके पास कलिता के 24 और 25 फरवरी को हुए दंगों से पहले कथित तौर पर लोगों को भड़काने के वीडियो हैं और उनके 22 तथा 23 फरवरी के भी वीडियो हैं जब नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ जाफराबाद मेट्रो स्टेशन के बाद बड़ी संख्या में लोग प्रदर्शन कर रहे थे.
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भीड़ को अपराध करने के लिए उकसा रही हों
सीएए के खिलाफ प्रदर्शनों के दौरान दिल्ली में सांप्रदायिक हिंसा से संबंधित मामले में कलिता की जमानत अर्जी पर दलीलें सुनते हुए न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत ने कहा, ‘‘मुझे भाषण का कोई अंश दिखाइए जिसे मीडिया या किसी अन्य ने रिकॉर्ड किया हो जिसमें कलिता भीड़ को अपराध करने के लिए उकसा रही हों.’’ अदालत ने कहा कि उस दौरान हर तरफ मीडिया की मौजूदगी थी और वे रिकॉर्डिंग कर रहे थे. न्यायाधीश ने कहा, ‘‘मैं जानना चाहता हूं कि उन्होंने क्या कहा जिससे भीड़ भड़की.’’ पुलिस की तरफ से अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल एस वी राजू ने कहा कि 25 फरवरी को घटना के वक्त कोई मीडिया नहीं था और गवाहों के बयान भीड़ को उकसाने में कलिता की भूमिका को दर्शाते हैं.