दिल्ली की एक अदालत ने शुक्रवार को दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के खिलाफ फर्जी खबर फैलाने को लेकर दायर एक आपराधिक शिकायत को खारिज कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता अलख आलोक श्रीवास्तव ने दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के खिलाफ अदालत में फर्जी खबर फैलाने के लिए आपराधिक शिकायत दर्ज कराई थी. जामिआ हिंसा के दौरान मनीष सिसोदिया ने ट्वीट करते हुए कहा था कि दिल्ली पुलिस के जवान जामिया हिंसा के दौरान डीटीसी बस में आग लगा रहे थे.
श्रीवास्तव ने हिंसा भड़काने के इरादे से सिसोदिया के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने, भारतीय दंड संहिता के तहत शांति भंग करने और सार्वजनिक उपद्रव भड़काने का आरोप लगाते हुए राउज एवेन्यू कोर्ट का रुख किया था. अदालत ने शुक्रवार को शिकायत खारिज करते हुए कहा कि यह कोई सं™ोय अपराध नहीं है. शिकायत को खारिज करते हुए, अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट विशाल पाहुजा ने उल्लेख किया कि शिकायत में कथित अपराध के लिए सिसोदिया के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए सक्षम अधिकारी से शिकायतकर्ता की ओर से कोई पिछली मंजूरी नहीं ली गई है.
सिसोदिया के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए, सक्षम प्राधिकारी यानी केंद्र सरकार से पूर्व मंजूरी कानून के अनुसार आवश्यक है. इसके मद्देनजर, अदालत ने कहा, इसलिए, कानून की निर्धारित स्थिति के मद्देनजर, आवेदन और शिकायत को खारिज किया जाना चाहिए, जो कानून की नजर में उचित नहीं है. अपनी शिकायत में श्रीवास्तव ने सिसोदिया की ओर से किए गए दो ट्वीट का जिक्र किया था. सिसोदिया ने हिंदी में किए गए अपने पहले ट्वीट में कहा था, इस बात की तुरंत निष्पक्ष जांच होनी चाहिए कि बसों में आग लगने से पहले ये वर्दी वाले लोग बसों में पीले और सफेद रंग वाली केन से क्या डाल रहे है.? और ये किसके इशारे पर किया गया? उन्होंने कहा, फोटो में साफ दिख रहा है कि भाजपा ने घटिया राजनीति करते हुए पुलिस से ये आग लगवाई है.
Source : IANS