दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट ने दिल्ली दंगो के दो मामलों में आप के निलंबित पार्षद ताहिर हुसैन ( Tahir Hussain ) को ज़मानत अर्जी खारिज कर दी है. कड़कड़डूमा कोर्ट ने कहा कि उसने साम्प्रदायिक दंगे की साजिश रचने और उसे भड़काने में एक मुख्य भूमिका निभाने के लिए अपने बाहुबल एवं राजनीतिक ताकत का इस्तेमाल किया. अदालत ने कहा कि हुसैन ने अपने हाथों और मुट्ठियों का इस्तेमाल नहीं किया बल्कि दंगाइयों को "मानव हथियार" के रूप में इस्तेमाल किया, जो उसके उकसावे पर किसी को भी मार सकते थे.
कड़कड़डूमा कोर्ट ने जमानत याचिका ख़ारिज करते हुए कहा कि ताहिर हुसैन का घर दंगाइयों का अड्डा बन गया था. बिना सोची समझी साजिश के,इतनी बड़ी तादाद में दंगा नहीं फैल सकता भले ही वो व्यक्तिगत रूप से शामिल न होने की दलील दी लेकिन ताहिर दंगों को लेकर अपनी जवाबदेही से नहीं बच सकता. उसने अपने बाहुबल और राजनीतिक रसूख का इस्तेमाल दंगा भड़काने में किया. अदालत ने अपराध की गंभीरता और इलाके में उसके प्रभाव का उल्लेख करते हुए उसे राहत देने से इनकार कर दिया.
कड़कड़डूमा कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (एएसजे) विनोद यादव ने पिछले साल फरवरी में शहर के उत्तर पूर्व क्षेत्र में व्यापक दंगों के दौरान दो लोगों को गोली लगने के दो मामलों के संबंध में हुसैन द्वारा दायर जमानत अर्जियों पर यह आदेश पारित किया। मामले अजय कुमार झा और प्रिंस बंसल द्वारा दायर अलग-अलग शिकायतों पर दर्ज किए गए थे, जिन्होंने दावा किया था कि वे 25 फरवरी को हुसैन के घर की छत से दंगाई भीड़ द्वारा पथराव, पेट्रोल बम फेंकने और गोलियां चलाने से घायल हो गए थे.
जमानत याचिकाओं को खारिज करते हुए कड़कड़डूमा कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (एएसजे) विनोद यादव ने कहा कि हुसैन ने अपने घर का इस्तेमाल दंगाइयों द्वारा दूसरे समुदाय के लोगों पर कहर ढाने के लिए करने दिया। वह दहशत के वित्तपोषण में लिप्त था और उसने व्यक्तियों का इस्तेमाल मानव हथियार के रूप में किया। सुनवायी के दौरान, विशेष लोक अभियोजक अमित प्रसाद ने आरोप लगाया कि हुसैन मुख्य साजिशकर्ता था और कहा कि उसकी पहचान दोनों शिकायतकर्ताओं और पांच प्रत्यक्षदर्शियों ने की थी.
Source : News Nation Bureau