जामा मस्जिद इलाके से गिरफ्तार 15 लोगों को दो दिनों की न्यायिक हिरासत ख़त्म होने के बाद तीसहजारी कोर्ट में पेश किया. दरियागंज थाने में दर्ज एफआईआर के मुताबिक भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर के भड़काऊ भाषण के बाद वहां मौजूद भीड़ ने पुलिस पर पथराव किया और वहां खड़ी एक कार में आग भी लगा दी. एडवोकेट रेबेका जॉन प्रदर्शनकारियों की ओर से पेश हुई. उन्होंने कहा कि मनमाने तरीके से पुलिस ने जिसे चाहा, पकड़ लिया. ये लोग नमाज़ पढ़ने गए थे. ये आपस में एक दूसरे को जानते नहीं है.
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जांच अधिकारी ने कोर्ट को बताया कि जिस कार को आग लगाई गई, वो पुलिस की गाड़ी नहीं थी. लेकिन प्रदर्शनकारियों ने पुलिस बैरिकेड को नुकसान पहुंचाया. इसलिए PDDP एक्ट कर तहत मामला दर्ज किया गया. डीसीपी दफ़्तर पर भी पथरबाजी हई है, जिसमे कई लोग घायल हुए. कोर्ट ने पुलिस से पूछा कि किस जानकारी के आधार इन लोगों की गिरफ्तारी हुई. क्या कोई CCTV फुटेज है जिससे इन्हीं लोगों की भूमिका साबित हो सके या यूं ही इन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. पब्लिक प्रोसिक्यूटर ने बताया कि इन लोगों की गिरफ्तारी इसलिये हुई क्योंकि ये बहुत आक्रामक थे, पत्थरबाजी में सबसे आगे थे.
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प्रदर्शनकारियों की ओर से रेबेका जॉन ने कहा कि अरेस्ट मेमो दर्शाता है कि इनकी गिरफ्तारी कल सुबह छह बजे दिखाई गई. अगर हालात इतने ही खराब थे तो तुंरत गिरफ्तारी क्यों नहीं की गई. बिना गिरफ्तारी के रात भर हिरासत में क्यों रखा गया. पुलिस ये साबित करने में नाकामयाब रही है कि उग्र भीड़ में से इन्हीं 15 लोगों को क्यों गिरफ्तार किया गया और बाकी लोगों को जाने दिया. शायद पुलिस को जानकारी नहीं कि सरकार के खिलाफ़ विरोध प्रदर्शन का अधिकार देश का संविधान देता है. रेबेका जॉन ने कहा कि ये सब लोग निम्न आय वर्ग से है. किसी तरह से गवाहों को प्रभावित करने या सबूतों के साथ छेड़छाड़ की स्थिति में नहीं है. इन्हें ज़मानत दे दी जानी चाहिए. इसके कोर्ट ने सभी आरोपियों की जमानत अर्जी खारिज कर दी.
Source : News Nation Bureau