उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को असम के राष्ट्रीय नागरिक पंजी समन्यवयक के कथित सांप्रदायिक बयानों पर राज्य सरकार से स्पष्टीकरण मांगा. प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ के समक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने राज्य राष्ट्रीय नागरिक पंजी के समन्वयक के कथित बयान की ओर ध्यान आकर्षित किया. इस पर पीठ ने कहा,' उन्हें यह सब नहीं कहना चाहिए. आपको (असम सरकार) इसका स्पष्टीकरण देना होगा. आप जो भी चाहें बतायें. उन्हें यह सब नहीं कहना चाहिए.'
पीठ एक गैर सरकारी संगठन की याचिका पर सुनवाई कर रही थी. इस याचिका में राज्य के राष्ट्रीय नागरिक पंजी समन्वयक हितेश देव सरमा को हटाने का भी अनुरोध किया गया है. इस संगठन ने दावा किया है कि नये राज्य समन्वयक बांग्ला मुस्लिमों और रोहिंग्याओं के खिलाफ टिप्पणियां कर रहे हैं. असम सरकार की ओर से सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि राज्य में राष्ट्रीय नागरिक पंजी का काम पूरा हो चुका है और अब राज्य समन्वयक की कोई भूमिका नहीं बची है. पीठ ने असम में राष्ट्रीय नागरिक पंजी को लेकर अनेक याचिकाओं पर केन्द्र और असम सरकार को नोटिस जारी किये.
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केन्द्र और राज्य सरकार को चार सप्ताह के भीतर इस नोटिस का जवाब देना है. पीठ ने एक अन्य याचिका पर भी सुनवाई की जिसमें कहा गया है कि असम के राष्ट्रीय नागरिक पंजी में करीब 60 बच्चों को शामिल नहीं किया गया है जबकि उनके माता पिता को नागरिक पंजी के माध्यम से नागरिकता प्रदान की गयी है. केन्द्र की ओर से अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल और असम सरकार की ओर से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इन बच्चों को उनके माता पिता से अलग नहीं किया जायेगा. वेणुगोपाल ने कहा, 'मैं यह कल्पना नहीं कर सकता कि बच्चों को निरोध केन्द्रों (डिटेंशन सेंटर) में भेजा जा रहा है और उन्हें परिवारों से अलग किया जा रहा है.
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जिन बच्चों के माता पिता को नागरिकता प्रदान की गयी है उन्हें निरोध केंद्र में नहीं भेजा जायेगा.' पीठ ने अपने आदेश में कहा, 'अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल कहते हैं कि उन बच्चों को, जिनके माता-पिता को राष्ट्रीय नागरिक पंजी के माध्यम से नागरिकता प्रदान की गयी है, उनके माता-पिता से अलग नहीं किया जायेगा और इस आवेदन पर फैसला होने तक उन्हें असम में निरोध केंद्र में नहीं भेजा जायेगा.' शीर्ष अदालत ने इस आवेदन पर जवाब दाखिल करने के लिये चार सप्ताह का वक्त देने का अटार्नी जनरल का अनुरोध स्वीकार कर लिया.
Source : Bhasha