Delhi Air Pollution: दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण का स्तर खराब से बेहद खराब और अब गंभीर हो चला है. देश की राजधानी दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों में वायु प्रदूषण ने विकराल रूप धारण कर रहा है. आलम यह है कि पूरा दिल्ली-एनसीआर जहरीले धुएं की सफेद चादर में लिपटा नजर आ रहा है. हवा में खुले जहर ने लोगों की आफत बढ़ा दी है. ऐसे में लोगों को आखों में जलन, सांस लेने में दिक्कत, खांसी और घबराहट जैसी समस्याओं से जूझना पड़ रहा है. अगर यह कहें कि दिल्ली में हेल्थ इमरजेंसी जैसे हालात हैं तो कुछ गलत नहीं होगा. सबसे प्रदूषित इलाका दिल्ली का आनंद विहार दर्ज किया गया है. यहां 3 नवंबर को वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) सारे रिकॉर्ड तोड़ता हुआ 800 के पार निकल गया और 865 रिकॉर्ड किया गया.
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क्या है वायु गुणवत्ता सूचकांक
दरअसल, मौसम और वायु गुणवत्ता का आंकलन करने के लिए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड वायु गुणवत्ता सूचकांक तैयार करता है. यह वह मानक है, जिसके आधार पर पूरी दुनिया में यह तय किया जाता है कि मौसम मानव जीवन के अनुकूल है या प्रतिकूल. क्योंकि दिल्ली को हर साल वायु प्रदूषण के गंभीर संकट से गुजरना पड़ता है. ऐसे में दिल्ली पर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की विशेष नजर रहती है.
क्या हैं एयर क्वालिटी इंडेक्स के मानक
- 50 तक: अच्छा
- 51-100: संतोषजनक
- 101-200: मध्यम
- 201-300: खराब
- 301-400 बहुत खराब
- 401-500: गंभीर
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कैसे बिगड़ती है वायु की गुणवत्ता
दरअसल, जब हवा में कुछ जहरीले गैसों और तत्वों ( कॉर्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, अमोनिया, ग्राउंड लेवन ओजोन, सीसा, ऑरसेनिक निकल, बेन्जेन, पीएम-10 और पीएम 2.5 ) का स्तर बढ़ जाता है तब हवा की गुणवत्ता गिरने लगती है. हवा की गुणवत्ता बिगाड़ने में पीएम 2.5 का बड़ा रोल है. यह दृष्यता कम कर देता है. पीएम 2.5 के कण बहुत महीन होते हैं. ये कण सांस के साथ हमारी बॉडी में पहुंचकर खून में घुल जाते हैं, जिसकी वजह से अस्थमा और सांस लेने में परेशानी जैसी समस्याएं पढ़ जाती हैं.
Source : News Nation Bureau