ठंड आते ही राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में लोग स्वच्छ हवा के लिए तरसने लगते हैं. यहां की हवा जहरीली हो जाती है. लोग जहरीली हवा में सांस लेने को मजबूर हो जाते हैं. दिल्ली की हवा जहरीली होने का कई कारण माना जाता है. आज हम आपको एक रिसर्च के हवाले से बताएंगे कि इसी मौसम में हवा में जहर घुलने का प्रमुख कारण क्या है. आपको बता दें कि पराली और इंडस्ट्री को जहरीली हवा के लिए प्रमुख कारण माना जाता है. लेकिन इसकी वजह कुछ और है. आइये जानते हैं ताजा ऑकड़े और स्टडी के बारे में.
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दिल्ली की हवा इसी मौसम में क्यों जहरीली होती है. इसको जानने के लिए ग्रीन थिंक टैंक सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (CSE) ने एक स्टडी की. इस स्टडी में 24 अक्टूबर से 8 नवंबर तक का आकलन है. क्या आप जानते हैं कि पराली और इंडस्ट्री के अलावा यहां की हवा को जहरीली करने में वाहनों का भी बड़ा योगदान है. अगर आप नहीं जानते हैं, तो हम आपको बताते हैं कि इस साल दिल्ली की प्रदूषण में 50 प्रतिशत से ज्यादा वाहनों का योगदान है.
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सीएसई ने अपनी स्टडी को गुरुवार को जारी की. इसके साथ ही पुणे में आईआईटीएम के वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए निर्णय समर्थन प्रणाली से स्रोत योगदान पर वास्तविक समय के आंकड़ों पर आधारित है. इस विश्लेषण में साफ किया गया है कि दिल्ली की हवा जहरीली होने में आधे से ज्यादा योगदान वाहनों का है. इसके बाद घरेलू प्रदूषण 12.5-13.5 प्रतिशत, उद्योग 9.9-13.7 प्रतिशत, निर्माण 6.7-7.9 प्रतिशत, कचरा जलाने और सड़क की धूल का स्थान 4.6-4.9 प्रतिशत और 3.6-4.1 प्रतिशत के बीच है.
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स्टडी की मानें तो 2 नवंबर से 6 नवंबर के दौरान, प्रारंभिक चरण में एनसीआर में प्रदूषण स्रोतों का योगदान दिल्ली पर 70-80 प्रतिशत तक हावी रहा. दीपावली के बाद स्मॉग बढ़ने के दौरान इस हिस्से में गिरावट आई. आपको बता दें कि प्रदूषण का स्तर दीवाली के बाद चरम पर रहा.
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सीएसई के कार्यकारी निदेशक अनुमिता रॉय चौधरी ने कहा कि परिवहन पर कार्रवाई के लिए मजबूत गति प्राप्त करनी है. साथ ही, अपशिष्ट प्रबंधन, घरों में स्वच्छ ऊर्जा की पहुंच और धूल नियंत्रण पर कार्रवाई तेज होनी चाहिए. हम अगर अपने घरों से ही तैयारी करें तो वायु प्रदूषण की समस्या से निजात पाई जा सकती है. इसके अलावा वाहनों का कम से कम इस्तेमाल करें. सार्वजनिक वाहनों से कोविड प्रोटोकॉल को फॉलो करते हुए लोग सफर करें तो भी दिल्ली का वायु प्रदूषण कम होगा.