दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind kejriwal) ने डिजिटल प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पंजाब सरकार की जमकर तारीफ की. उन्होंने कहा कि पंजाब के सीएम भगवंत मान ने 5 सितंबर को शिक्षक दिवस वाले दिन एक बहुत बड़ी घोषणा की थी. यह घोषणा न केवल पंजाब के लिए बल्कि पूरे देश के लिए और अर्थव्यवस्था के लिए बहुत अहम है. उन्होंने 8736 कच्चे टीचर्स पक्के करने की घोषणा की थी. यह देश में पहली बार हो रहा है. पूरे देश में हवा यह चल रही है कि सरकारी नौकरी खत्म करो. सरकारी पदों पर भर्ती मत करो और उनकी जगह कच्चों को लगाओ और उनकी पूरी जिंदगी कच्चे कर्मचारी के तौर पर बीत जाती है. पहली बार पूरे देश में किसी सरकार ने ऐसे वादे को पूरा किया. भगवंत मान जी की सरकार ने 8736 टीचर्स पक्का किया. पंजाब में और भी कच्चे एंप्लोई हैं, उनको पक्का करने पर मान साहब की सरकार काम कर रही है.
थोड़ा समय इसलिए लग रहा है ताकि कल को कोर्ट में कोई उसको चुनौती दे तो मामला टिक जाए वरना आज खानापूर्ति करने के लिए दिखाने के लिए कर दिया और कल को कोर्ट में मामला जाएगा और सरकार हार गई तो एंप्लाइज के साथ धोखा हो जाएगा.
इनमें कई कर्मचारी ऐसे थे जो पिछले 10 से 15 सालों से धरने प्रदर्शन कर रहे थे. टंकी पर चढ़े हुए थे. कुछ की उम्र भी ज्यादा हो गई थी लेकिन उनको रियायत दी जा रही है. पूरे देश में जगह-जगह राज्य सरकार केंद्र सरकार नौकरी एक के बाद एक खत्म करती जा रही है. जब भारतीय अर्थव्यवस्था बढ़ रही है, हर राज्य की अर्थव्यवस्था बढ़ रही है तो सरकारी नौकरी भी बढ़नी चाहिए. वह कम कैसे हो सकती है. लेकिन एक पैटर्न चल रहा है कि सरकारी नौकरी खत्म करके कच्चे एम्प्लाइज को लाया जा रहा है
एक धारणा है कि पक्के कर्मचारी काम नहीं करते यह बिल्कुल गलत अवधारणा है. दिल्ली के अंदर हमने दिखाया कि शिक्षा क्रांति उन्हीं पक्के टीचर्स और गेस्ट टीचर्स की वजह से आई जो यहां पर थे. दिल्ली में लगभग 60 हजार टीचर्स काम कर रहे हैं. पहले इन टीचर्स को दिल्ली में बदनाम किया जाता था. कहा जाता था सरकारी स्कूलों में पढ़ाई नहीं होती. टीचर आते हैं और पेड़ के नीचे बैठकर महिलाएं स्वेटर बुनती रहती हैं. उन्हीं टीचर से शिक्षा क्रांति करके दिखाई. हमारे उन्ही सरकारी डॉक्टर मेडिकल स्टाफ ने कमाल करके दिखाया है. तो यह कहना गलत है कि पक्के कर्मचारी काम नहीं करते. जो ठेके पर रखे जाते हैं कच्चे कर्मचारी होते हैं यह कर्मचारी पूरी hierarchy में सबसे नीचे आते हैं और सबसे गरीब होते हैं और उनका शोषण बहुत ज्यादा होता है. उस शोषण को खत्म करने का समय आ गया है. हम दिल्ली में भी गेस्ट टीचर को पक्का करना चाहते थे लेकिन केंद्र सरकार ने उस बिल को मंजूरी नहीं दी.
Source : Mohit Bakshi