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बोर्ड एग्जाम पर मनीष सिसोदिया से Exclusive बातचीत देखिये News Nation पर 

बात सिर्फ दिल्ली के बच्चों की नहीं बल्कि देश के 1 करोड़ 40 लाख बच्चों की है जो 12वीं में हैं उन्हें 12वीं की परीक्षा के साथ-साथ जेल नीट जैसी परीक्षाएं दिलवाने की बात भी हो रही हैं.

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Deepak Pandey
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Manish Sisodia

दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ( Photo Credit : फाइल फोटो)

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बात सिर्फ दिल्ली के बच्चों की नहीं बल्कि देश के 1 करोड़ 40 लाख बच्चों की है जो 12वीं में हैं उन्हें 12वीं की परीक्षा के साथ-साथ जेल नीट जैसी परीक्षाएं दिलवाने की बात भी हो रही हैं. सवाल यह है कि जब देश में ढाई लाख रोजाना केस आ रहे हैं और हजारों लोगों की मौत हो रही है और कहा जा रहा है कि सर्वे में बच्चों पर ज्यादा खतरा है तो ऐसे में हम अपने बच्चों की सलामती से क्यों रिस्क ले परीक्षा लेने के तरीके और भी हैं अगर हमें परीक्षा लेना नहीं आ रहा तो यह बच्चों की गलती नहीं है हमें out-of-the-box सोचना होगा दुनिया के बहुत से देशों ने अलग तरीके अपनाए हैं हमें भी अपनाना चाहिए. इस पर दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया की Exclusive बातचीत न्यूज नेशन पर...

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दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने न्यूज नेशन से बातचीत में कहा कि बच्चा बचेगा तो ही तो प्रोफेशनल एग्जाम दे पाएगा. यह एक्जाम सिस्टम की नाकामी है कि हमें एक ही तरीके एग्जाम लेना आता है. उसका भुगतान बच्चे क्यों भोंकते हैं. पहले राज्य सरकारें और केंद्र सरकार मिलकर बच्चों का वैक्सीनेशन प्रोग्राम बनाएं. 12वीं के बच्चों का लगा दे उसके बाद एग्जाम ले ले. 

उन्होंने आगे कहा कि दसवीं क्लास में बच्चे ने बोर्ड का एग्जाम दिया था. 11वीं में कई परीक्षार्थी और 12वीं में कई परीक्षार्थी उसने ऑनलाइन क्लासेस की हैं. ऑनलाइन यूनिट्स दी है, प्री बोर्ड की परीक्षाएं दिए हैं. बहुत सारे तरीके हैं फोन पर वायवा हो सकता है. इन सब के आधार पर बच्चे की नॉलेज को जाना जा सकता है. छत्तीसगढ़ सरकार ने एक रास्ता निकाला है कि वह चाकोचन कॉपी ना कर पाए ऐसा डिजाइन किया गया है. क्वेश्चन पेपर और आंसर शीट और क्वेश्चन पेपर 5 दिन के लिए बच्चों को दे दिया गया है. यह बच्चा 12 साल से आपके पास है पहली बार तो आया नहीं है.

मनीष सिसोदिया ने आगे कहा कि मेरी अभिभवकों, बच्चों और शिक्षकों से बात हुई है. किसी का भी नहीं मानना कि यह एग्जाम नहीं होने चाहिए. बच्चों के हित में यह फैसला ले कर उन्हें आगे बढ़ाना चाहिए. वैक्सीनेशन का पूरा मिसमैनेजमेंट हुआ है, जिसके लिए केंद्र सरकार जिम्मेदार है पर बच्चों के लिए डेढ़ करोड़ वैक्सीन लाना कोई बड़ी बात नहीं है. अमेरिका में 5000 की वैक्सीन 12 से 18 साल के बच्चों को लगाई जा रही है, लेकिन केंद्र सरकार ने व्यक्त नेशन के प्रोग्राम को सीरियसली नहीं लिया और उसका मजाक बना दिया है.  

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दिल्ली के डिप्टी सीएम ने आगे कहा कि विदेश मंत्री कुछ दिन पहले तक रोज ट्वीट करते थे कि हमने अपनी वैक्सीनेशन यहां भेज दी वहां भेज दी आज वह कह रहे हैं कि हम वैक्सीनेशन लेकर आएंगे आज यह काम अमेरिका ने नवंबर दिसंबर में कर दिया था. कल कई राज्यों ने कहा कि बच्चों को खतरा है, क्योंकि राज्य बोर्ड तो अपने तरीके निकाल लेंगे. मसला सीबीएसई का ज्यादा है और इतनी संख्या में बच्चे इकट्ठे होंगे तो खतरा तो है ही.

HIGHLIGHTS

  • बात सिर्फ दिल्ली के बच्चों की नहीं बल्कि देश के 1 करोड़ 40 लाख बच्चों की है : डिप्टी सीएम
  • सर्वे में बच्चों पर ज्यादा खतरा है तो ऐसे में हम अपने बच्चों की सलामती से क्यों रिस्क ले : सिसोदिया
  • बच्चा बचेगा तो ही तो प्रोफेशनल एग्जाम दे पाएगा : दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया

Source : News Nation Bureau

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