दिल्ली के अनाज मंडी इलाके में रविवार सुबह जिस चार मंजिला इमारत में आग लगने से 43 लोगों की मौत हुई, वह ज्वलनशील सामग्री से भरी हुई थी और उसमें सिर्फ एक दरवाजा था जो पतली गली की ओर खुलता था. अधिकारियों ने यह जानकारी दी. दमकल कर्मियों ने बताया कि जलती सिलाई मशीनों, प्लास्टिक के खिलौनों तथा डिब्बों और कपड़ों आदि से निकलते घने जहरीले धुएं ने पूरी इमारत को अपनी चपेट में ले लिया, जिससे बचाव अभियान चलाने में काफी दिक्कतें आईं.
दिल्ली अग्निशमन विभाग के अधिकारियों ने कहा कि दमकल की 30 से अधिक गाड़ियां और कई एंबुलेंस भवन के आसपास भीड़भाड़ वाले इलाकों में पहुंची, जहां कई अवैध कारखाने मौजूद हैं. वहीं 150 दमकल कर्मी 63 लोगों को बाहर निकालने और आग को बुझाने में जुट गए. आग तड़के पांच बजकर 22 मिनट पर लगी.
अधिकारियों ने बताया कि 600 गज के भवन में सिर्फ एक दरवाजा था, लिहाजा दमकल कर्मियों को अंदर घुसने के लिए खिड़कियों और लोहे की जालियों को काटना पड़ा. उन्होंने कहा कि तंग गलियों में एक बार में केवल एक ही गाड़ी भेजी जा सकती थी. अधिकारियों ने कहा कि प्रारंभिक जांच में पता चला है कि आग शॉर्ट-सर्किट की वजह से लगी, जो भवन के दूसरे तल से शुरू हुई.
सदर बाजार व्यापार संघ के अध्यक्ष राकेश कुमार ने कहा कि रिहायशी इलाके में अवैध फैक्ट्रियां और सिर पर लटकते तारों ने इस मुगलकालीन व्यापार केन्द्र को "टाइम बम" बना दिया है. उन्होंने कहा कि इस हालत के लिए अधिकारी जिम्मेदार हैं. दिल्ली सरकार ने इस घटना की मजिस्ट्रेट जांच का आदेश देते हुए सात दिनों के भीतर रिपोर्ट देने के लिए कहा है.
इस घटना को 1997 के उपहार सिनेमा अग्निकांड के बाद राष्ट्रीय राजधानी में आग लगने की सबसे बड़ी घटना बताया जा रहा है. उपहार अग्निकांड में 59 लोगों की मौत हो गई थी.
Source : Bhasha