कोरोना की दूसरी लहर के दौरान अपने मरीज़ों के लिए तड़पते परिजनों के चेहरे तो आपको याद ही होंगे. इन परिजनों की सबसे बड़ी शिकायत थी की जिनको अस्पतालों में भर्ती कर लिया गया उनको भी वहां देखने वाला कोई नही था. यहां तक की कई परिजनों ने स्वयं की इच्छा से ही अटेंडेन्ट के तौर पर कोरोना वार्ड में रहने तक का सुझाव दिया था. उन्ही सभी हालातों से सबक लेते हुए दिल्ली सरकार ने तीसरी लहर के मद्देनजर अपनी तैयारी में 5 हज़ार हेल्थ असिस्टेंट को शामिल किया है. ये हेल्थ असिस्टेंस वो लोग होंगे जो अगर तीसरी लहर आई तो अस्पताल में मरीज़ के अटेंडेड का काम करेंगे या यूं कहें कि आपात स्थिति में डॉक्टर्स व नर्स के सहायक का काम करेंगे.
इसके लिए इन हेल्थ अटेंडेट की ट्रेनिंग अभी से शुरू कर दी गई है. पहले बैच में 9 अस्पतालों में 500 लोगो को ये ट्रेंनिंग दी जा रही है. राजीव गांधी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल समेत 9 अस्पतालों में ये कोर्स करवाया जा रहा है अस्पताल के निदेशक बीएल शेरवाल के मुताबिक कोरोना के दौरान हमने देखा कि पूरी तरह से हेल्थ स्टाफ के लगने के बाद भी मरीजों के कुछ कन्सर्न रहते हैं, कोरोना के कारण मरीजों के पास उनके परिजन नहीं रह सकते.
भर्ती हुए मरीजों को खाने, ट्वायलेट जाने, आदि में मरीजों को सहायता की जरूरत होती है. इसे सोचकर ही यह कोर्स तैयार हुआ है आईपी यूनिवर्सिटी के द्वारा. दिल्ली सरकार की सोच थी कि ऐसे लोगों को ट्रेनिंग दी जाए. प्लस, ब्लड सर्कुलेशन, मॉनिटर कैसे काम करता है, ब्लड प्रेशर, सैम्पलिंग, व्हील चेयर पर कैसे लेकर जाते हैं, ऑक्सीजन सेचुरेशन, आदि इन्हें बताया जाएगा. कोरोना में ऑक्सीजन देने के लिए मास्क लगाया जाता है, मरीज HFNO या वेंटिलेटर पर होते हैं, ऐसे में उन्हें क्लोज वाच की जरूरत होती है, तो ये हेल्थ असिस्टेंट उस गैप को पूरा करेंगे.
डॉ शेरवाल का कहना है कि यदि तीसरी वेव में अगर केसेज बढ़ते हैं, तो उसके लिए इन्हें इस्तेमाल कर सकते हैं. इस कोर्स के लिए योग्यता 12वी पास रखी गई है. दो हफ्ते के इस ट्रेनिंग कोर्स को गुरु गोबिंद सिंह इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी की तरफ से तैयार किया गया है जिसके तहत पहले हफ्ते में थ्योरी ओर दूसरे हफ्ते में अस्पतालों के भीतर प्रैक्टिकल ट्रेनिंग दी जा सकेगी और इन छात्र छात्राओं को शरीर के अलग अलग अंगों के पैरामीटर्स बताए जाएंगे ,ताकि यदि आपात स्थिति आती ही तो ये लोग मरीज़ की मदद कर सके.
हालांकि इस कोर्स में 12वीं क्लास योग्यता के रूप में मांगा जा रहा है लेकिन यहां पहुंचे कई छात्र छात्राएं ग्रेजुएट है तो कई मेडिकल पेशे से जुड़े लैब टेक्नीशियन ,पर सभी को लगता है कि ये ट्रेनिंग रोजगार के अवसर के साथ साथ समाज की सहायता करने में भी मददगार साबित होगी. दिल्ली सरकार द्वारा लिए गए इस निर्णय पर कई सवाल भी खड़े किए गए थे लेकिन केजरीवाल सरकार द्वारा स्पष्ट कर दिया गया है की अगर तीसरी लहर आई तो मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर के अलावा मदद के लिए आगे आये इन 5 हज़ार लोगो का भी बहुत महत्व होगा.
Source : Mohit Bakshi