दिल्ली विधानसभा (Delhi Legislative Assembly) के विधायक सोमवार को बहुत खुश नजर आए. खुशी की वजह थी विधायकों (MLAs) का होने वाला इंक्रीमेंट (Salary Increment). आम आदमी पार्टी (AAP) की तीसरी बार सरकार बनी है. लेकिन ये पहला मौका है जब विधायकों को बढ़ी हुई सैलरी का मुंह देखना नसीब होगा. ऐसा नहीं है कि सरकार ने कभी विधायकों की सैलरी बढ़ाने की कोशिश नहीं की.आम आदमी पार्टी ने तो 2015 में विधायकों की सैलरी में अच्छा खासा इजाफा मांगा था. दिल्ली विधानसभा में प्रस्ताव पास कर उपराज्यपाल के पास भी भेजा,लेकिन केंद्र ने इनकी मांग को नामंजूर कर दिया था.
विधायकों को अब 90 हजार मिलेंगे
दिल्ली के एक विधायक को पहले 12 हजार रुपये सैलरी मिलती थी. जिसे अब नए सैलरी स्लैब के मुताबिक बढ़ाकर 18 हजार कर दिया गया है. वहीं विधानसभा भत्ता को 18 हजार से बढ़ाकर 25 हजार, वाहन भत्ते को 6 हजार से 10 हजार, टेलीफोन भत्ते को 8 हजार से 10 हजार और सचिवालय भत्ते को 10 हजार से बढ़ाकर 15 हजार रुपये कर दिया गया है. यानि अब विधायकों को भत्ता मिलाकर कुल सैलरी 54 हजार से बढ़ाकर 90 हजार रुपये मिलेगी. इसके साथ-साथ मुख्यमंत्री व मंत्रियों की सैलरी को भी 20 हजार से बढ़ाकर 60 हजार किया गया है.
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6 फीट के आदमी की चादर हो 7 फीट - सिसोदिया
उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि विधायकों की सैलरी बढ़ाने पर ये पहली बार किसी विधानसभा में इतनी चर्चा हो रही है. वर्ना प्रस्ताव आता है और पास हो जाता है. फिर अगले दिन अखबारों में छप जाता है. ये चर्चा की अच्छी परंपरा है. उन्होंने कहा कि एक कहावत है 'उतने पैर पसारिए जितनी लंबी सौर', मैं इस कहावत के विरोध में हूं. आदमी को यह नहीं पढ़ाना चाहिए. बल्कि यह पढ़ाना चाहिए कि ज़रुरत के हिसाब से चादर ले लेनी चाहिए. ये कहावत अच्छे संदर्भ में कही गई होगी. लेकिन ये मानव के लिए बहुत घातक है. 6 फीट के आदमी को 5 फीट की नहीं, 7 फीट की चादर लेनी चाहिए. अगर चादर 10 फीट की होगी तो भी वो परेशान ही रहेगा.
12 हजार से 30 हजार रुपए प्रतिमाह माह करने की मंजूरी मिली. अभी के संदर्भ में अच्छी बढ़ोतरी है."
हर साल बढ़े विधायकों की सैलरी - भाजपा
अमूमन सदन में सरकार की हर बात का विरोध करने वाला विपक्ष सैलरी बढ़ाने के मुद्दे पर सरकार के साथ ताल ठोकता हुआ नजर आया. भाजपा के विधायक तो सत्ता पक्ष से भी एक कदम आगे निकल गए. भाजपा के विधायक अनिल वाजपेयी ने तो हर साल ही विधायकों की सैलरी बढ़ाने की मांग कर डाली. अनिल वाजपेयी ने कहा "हमारे आंतरिक मतभेद कैसे भी हों, लेकिन सैलरी बढ़ोतरी के मुद्दे पर हमने हमेशा बढ़ोतरी के प्रस्ताव का समर्थन किया है. हम विधायकों की सैलरी 12 हजार से बढ़ाकर 30 हजार की गई है, जो काफी कम है.यह कम से कम 50 हजार होनी चाहिए. प्रति मीटिंग हमें अब तक 1 हजार रुपए मिलते थे, जिसे 1500 किया गया है. यह कम से कम 2 हजार होना चाहिए. रिटायरमेंट के बाद दिल्ली के विधायकों की पेंशन भी काफी कम है. यह मात्र 7500 है, यह कम से कम 50 हजार होनी चाहिए. विधायकों की सैलरी में बढ़ोतरी का प्रस्ताव हर साल आना चाहिए".
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2011 के बाद पहली बार बढ़ी है सैलरी
विधायकों, मंत्रियों, विधानसभा अध्यक्ष, चीफ विप और नेता प्रतिपक्ष की सैलरी में बढ़ोतरी के पांचों विधेयक विधानसभा ने ध्वनिमत से पास किए. दरअसल साल 1993 में जब से दिल्ली विधानसभा का गठन हुआ है,तब से 2011 तक 5 बार विधायकों की सैलरी बढ़ाई गई थी. 2011 के बाद यह पहला मौका है जब दिल्ली में यह बढ़ोतरी देखने को मिली. दरअसल साल 2015 में आप ने विधायकों की सैलरी में अच्छी-खासी बढ़ोतरी करने की कोशिश की थी. लेकिन केंद्र सरकार ने उसे मंजूरी नहीं दी थी. ऐसे में केंद्र पर भेदभाव पूर्ण रवैए का आरोप लगाते हुए आम आदमी पार्टी काफी आक्रामक भी दिखी.
HIGHLIGHTS
- दिल्ली में 2011 के बाद बढ़ी विधायकों की सैलरी
- प्रति मीटिंग हमें अब 1 हजार के बजाए 1500 मिलेगा- BJP विधायक