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Delhi CM vs LG Case: SC का बड़ा फैसला, दिल्ली सरकार के पास रहेगा ट्रांसफर-पोस्टिंग का अधिकार

दिल्ली का असली बॉस कौन है... मुख्यमंत्री या उपराज्यपाल, इस पर सीजेआई समेत 5 जजों की संविधान पीठ फैसला सुना रही है. दिल्ली सरकार बनाम एलजी मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली और केंद्र सरकार की शक्तियां अलग अलग हैं.

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Deepak Pandey
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सुप्रीम कोर्ट के जज( Photo Credit : ANI)

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दिल्ली का असली बॉस कौन है... मुख्यमंत्री या उपराज्यपाल, इस पर सीजेआई समेत 5 जजों की संविधान पीठ फैसला सुना रही है. दिल्ली सरकार बनाम एलजी मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली और केंद्र सरकार की शक्तियां अलग अलग हैं. केंद्र के पास जमीन और कानून व्यवस्था के मामले, जबकि विधानसभा के पास कानून बनाने का अधिकार है. दिल्ली के अधिकार दूसरे राज्यों के तुलना में कम हैं. राज्यों के अधिकारों को केंद्र टेकओवर न करे. अब अधिकारियों पर दिल्ली सरकार का कंट्रोल जरूरी है. अधिकारियों का ट्रांसफर और पोस्टिंग दिल्ली के पास रहेगा.  

सुप्रीम कोर्ट ने माना कि वह जस्टिस भूषण के पुराने फैसले से सहमत नहीं है कि दिल्ली सरकार के पास सर्विसेज पर कोई भी अधिकार नहीं है. हम 2019 के फैसले से सहमत नहीं हैं. सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि एनसीटीडी एक पूर्ण राज्य नहीं है, इसे फिर भी सूची 2 और 3 के तहत कानून बनाने का अधिकार है. अनुच्छेद 239एए ने एक संघीय सरकार बनाई और यह एक असममित संघीय मॉडल है.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 2018 के जस्टिस भूषण के उस फैसले से वह सहमत नहीं है कि दिल्ली में अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग की सारी शक्ति केंद्र सरकार के पास होनी चाहिए. संविधान के अनुच्छेद 239 AA से ये स्पष्ट है कि दिल्ली में चुनी हुई सरकार है और यह लोगों के प्रति जवाबदेह है. NCT एक पूर्ण राज्य नहीं है. ऐसे में राज्य पहली सूची में नहीं आता है. 

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चुनी हुई सरकार को लोगों की आशाओं के अनुरूप काम करने का मौका मिलना चाहिए. अगर केंद्र सरकार सारे अधिकार अपने पास रख ले तो ये देश के संघीय ढांचे के विपरीत है. केंद्र दिल्ली सरकार की विधायी शक्तियों को नियंत्रित नहीं कर सकता है. CJI ने कहा कि अगर अधिकारी मंत्रियों को रिपोर्ट करना बंद कर दें या उनके निर्देशों का पालन नहीं करते हैं तो लोकतंत्र में सामूहिक उत्तरदायित्व का सिद्धांत प्रभावित होगा.

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