दिल्ली की गुडिया गैंगरेप मामले में बुधवार को आने वाला फैसला टल गया है. इस मामले में अब दिल्ली की कड़कड़डूमा अदालत 18 जनवरी को फैसला सुनाएगी. यह मामला उस वक्त सुर्खियों में आया था, जब निर्भया केस के चार महीने बाद ही 15 अप्रैल 2013 को पांच साल की गुड़िया को दो लोगों ने अपहरण कर उसके साथ गैंगरेप किया था.
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निर्भया की तरह ही गुड़िया के साथ भी बर्बर तरीके से गैंगरेप किया गया था. गुड़िया के शरीर से मोमबत्ती और कांच की शीशी निकली थी. कई सर्जरी के बाद उसे किसी तरह बचाया गया था. इस मामले में दिल्ली पुलिस ने दो आरोपियों को बिहार और उत्तर प्रदेश से गिरफ्तार किया था. गुड़िया के आरोपी मनोज शाह और प्रदीप दोनों पड़ोसी थे. इस मामले की सुनवाई पूरी होने में वक्त इसलिए भी लगा, क्योंकि इस मामले में आरोपी प्रदीप ने खुद को नाबालिग बताया था. साथ ही इस मामले को लंबा खींचने की कोशिश की थी.
बलात्कार के बाद हुई थी हत्या की कोशिश
गुड़िया के साथ जिस समय रेप हुआ था, वो पांच साल की मासूम थी. रेप के बाद दोनों आरोपियों ने गुड़िया की हत्या करने की कोशिश की थी. गुड़िया 15 अप्रैल 2013 की शाम को लापता हुई और 17 अप्रैल की सुबह मिली थी. इसके बाद उसको उपचार के लिए एम्स अस्पताल ले जाया गया था. जहां उसकी हालत कई दिनों तक बेहद गंभीर बनी रही.
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डॉक्टरों ने पीड़िता बच्ची शरीर के अंदर से तेल की शीशी और मोमबत्ती निकाली थी. कई दिनों तक गुड़िया की हालत अस्पताल में नाजुक बनी हुई थी. इस गैंगरेप को लेकर दिल्ली पुलिस के खिलाफ लोगों का गुस्सा भड़क गया था. इसके बाद लोगों का गुस्सा कुछ वक्त पहले ही 16 दिसंबर 2012 को निर्भया के साथ हुए गैंगरेप के बाद लगभग उतनी ही बड़ी वारदात दोबारा दोहराई गई थी. ऐसे में पांच साल की बच्ची के साथ राजधानी दिल्ली में बर्बरता से हुए इस रेप पर पुलिस और प्रशासन पर कई सवाल खड़े हुए थे.
Source : News Nation Bureau