Delhi HC Allows Terminating 33-Week Pregnancy: दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) ने 33 सप्ताह की गर्भवती महिला को गर्भपात की अनुमति दे दी. कोर्ट ने कहा कि ये महिला का अधिकार है कि वो गर्भ को जन्म दे या न दे. चूंकि इस मामले में गर्भ में पल रहे बच्चे को गंभीर बीमारी है. ऐसे में वो जन्म के बाद तमाम समस्याओं से जूझता. उसके बचने की भी उम्मीद कम ही थी, इसकी वजह से माता के जीवन पर भी खतरा था. इन सब बातों को देखते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने 33 सप्ताह के गर्भ को गिराने की अनुमति दे दी. कोर्ट ने अपने फैसले में जोड़ा है कि इन विपरीत परिस्थितियों में मां की पसंद ही अंतिम पसंद है.
महिला ने ली थी हाई कोर्ट की शरण
सुप्रीम कोर्ट ने जनवरी महीने में 8 माह की गर्भवती कुंवारी महिला को गर्भपात की अनुमति दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि शादीशुदा न होने की वजह से किसी भी महिला भी महिला के अधिकार को छीना नहीं जा सकता. बता दें कि डॉक्टरी देखरेख में 24 सप्ताह तक के गर्भ को गिराने की अनुमति कोर्ट ने दी थी. लेकिन महिला के गर्भ का समय 8 माह से ज्यादा हो गया था, जिसके बाद इस मामले में अस्पतालों ने मदद करने से इनकार कर दिया था. इसी के बाद महिला ने हाई कोर्ट की शरण ली. और हाई कोर्ट ने महिला के हक में फैसला सुनाया.
मां की पसंद अंतिम
जस्टिस प्रतिभा एम सिंह ने मामले की सुनवाई की. जिसमें बताया गया कि बच्चे को मानसिक विकार है. ऐसे में वो सामान्य जीवन नहीं जी सकता. इसके बाद जस्टिस प्रतिभा एम सिंह ने कहा कि मां की पसंद अंतिम है. अगर वो गर्भपात चाहती है, तो वो ऐसा कर सकती है. जस्टिस ने अपने फैसले में ये भी कहा कि वो एलएनजेपी समेत किसी भी अपनी पसंद के अस्पताल में गर्भपात करा सकती है. उन्होंने कहा कि कानून के तहत ये महिला को ही तय करने का अधिकार है कि वो बच्चे को जन्म देना चाहती है या नहीं.
HIGHLIGHTS
- दिल्ली हाई कोर्ट का बड़ा फैसला
- महिला को दिया गर्भपात का अधिकार
- 33 सप्ताह के भ्रूण में मानसिक विकार
Source : News Nation Bureau