दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) को यमुना नदी के तट, नदी तल और नदी में बहने वाले नालों पर सभी अतिक्रमण और अवैध निर्माण को हटाने का आदेश दिया है. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने बुधवार को DDA को निर्देश देने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए ये निर्देश दिया है. साथ ही भविष्य में भी यमुना नदी तट पर अनाधिकृत निर्माण रोकने को कहा है.
पीठ ने अपने बयान में कहा कि, वीसी द्वारा नियुक्त नोडल अधिकारी दिल्ली नगर निगम (MCD), दिल्ली पुलिस, दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (DMRC), सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण विभाग, लोक निर्माण विभाग (PWD), दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और वन विभाग के अधिकारियों के साथ कोआर्डिनेट करेंगे. पीठ ने निर्देश दिया कि, "...DDA के उपाध्यक्ष एक सप्ताह के भीतर सभी संबंधित अधिकारियों की बैठक बुलाएंगे."
लोगों को हो रही सांस लेने में दिक्कत
याचिकाकर्ता शबनम बर्नी ने दायर याचिका कहा कि, बिना अनुमति के अवैध निर्माण के चलते पारिस्थितिक रूप से नाजुक मैदान खतरे में है. उन्होंने कहा कि, इससे क्षेत्र में वायु प्रदूषण भी हो रहा है और आसपास रहने वाले लोगों को सांस लेने में दिक्कत हो रही है.
केंद्र सरकार के स्थायी वकील अपूर्व कुरुप ने इस बात को स्वीकारा है कि, बाढ़ क्षेत्र में अतिक्रमण से पानी का रुख बदल जाता है, जिससे आस-पास के इलाकों में बाढ़ आ जाती है. कुरुप ने इस बात पर भी जोर दिया है कि, कई विशेषज्ञों का मानना है कि राजधानी में बाढ़ मुख्य रूप से नालों, नदी तटों और नदी तलों के अतिक्रमण के कारण हुई, क्योंकि इससे यमुना में पानी का प्रवाह प्रतिबंधित हो गया था.
DDA और DMRC देगा पूरा सहयोग
दिल्ली सरकार और दिल्ली पुलिस ने वकील आविष्कार सिंघवी के माध्यम से अदालत को बताया कि, उसने उचित कार्रवाई के लिए नदी तट पर अवैध और अनधिकृत निर्माण से संबंधित कई अभ्यावेदन DDA और MCD को भेजे थे.
वकील ने अदालत से यह आश्वासन देते हुए निर्देश पारित करने का आग्रह किया कि, अधिकारी सभी आवश्यक सहायता प्रदान करेंगे. MCD का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील अजय अरोड़ा ने आश्वासन दिया कि, नगर निगम हटाने में DDA और DMRC को पूरा सहयोग देगा.
Source : News Nation Bureau