दिल्ली में कोरोना वायरस से हालात बेकाबू हो चुके हैं. राष्ट्रीय राजधानी में अब हर रोज 10 हजार से ज्यादा नए मामले सामने आ रहे हैं. कल दिल्ली में 13 हजार 468 केस आये थे. स्थिति इतनी खराब हो गई है कि दिल्ली के सभी अस्पतालों में 95 फीसदी बेड्स फुल हो चुके हैं. मरीजों को ऑक्सीजन और वेंटिलेटर नहीं मिल पा रही है. इस बीच दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री ने एक प्रेस कांफ्रेस करके राज्य में कोरोना की स्थिति और प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था की जानकारी दी. उन्होंने कहा कि कल 1 लाख 2 हज़ार से ज़्यादा टेस्ट किये गये, जिसमें से 13 हजार 468 नए मरीज मिले हैं. उन्होंने कहा कि 13.14% पॉजिटिविटी थी. देश मे 1 लाख 85 हज़ार के करीब केस आये थे.
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उन्होंने कहा कि पूरी दिल्ली में और देश मे कोरोना के केस बहुत तेज़ी से बढ़ रहे हैं. कम नहीं हो रहे, रोज़ाना बढ़ते जा रहे हैं. सभी से ये अपील है कि बहुत ज़रूरी हो तभी घर से निकलें और कोविड अनुकूल व्यवहार का पालन करें. मास्क ज़रूर लगाएं. पिछले कुछ हफ्तों से बड़ी तेजी के साथ मामले डबल हो ही रहे हैं. ये स्थिति सिर्फ दिल्ली की नहीं पूरे देश की है.
सत्येंद्र जैन ने दिल्ली में कोरोना डेथरेट पर कहा कि 13 हज़ार केस भी हैं, पिछली बार जितनी संख्या में केस थे नवम्बर में 2-3% डेथ रेट था. दुखद है लेकिन आंकड़ा यही कह रहा है कि अभी भी आधा प्रतिशत से कम हो रही है. अस्पतालों में बेड्स की कमी को लेकर उन्होंने कहा कि अगर आप एप में देखेंगे तो पिछले हफ्ते 6 हज़ार बेड थे अब 13 हज़ार से भी ज़्यादा बेड हैं. हम लगातार बेड की संख्या बढ़ा रहे हैं परसों बेड बढ़ाने के आर्डर जारी किए थे. उसको लागू होने में 3-4 दिन लग जाते हैं.. पूरे देश के लिहाज से देखें तो किसी भी प्रदेश में जितने अधिकतम कोविड बेड हैं उसके दुगुने से भी ज़्यादा दिल्ली में बेड हैं.
वेंटिलेटर की कमी
सत्येंद्र जैन ने कहा कि कोरोना में शुरुआत में लगता था कि वेंटिलेटर भी प्राइमरी हेल्थ टूल है. लेकिन ऐसा नहीं है, वेंटिलेटर बिल्कुल आखिरी टूल है. उससे पहले कई लेवल है. पहले आपको होम आइसोलेशन में रखा जाता है दवाई पर रखा जाता है, फिर ऑक्सिजन लगाई जाती है. उसके बाद HFNo और BiPap है वेंटिलेटर बिल्कुल आखिरी चरण है, ये बेसिक ट्रीटमेंट नहीं है. वेंटिलेटर के बेड बहुत सारे हैं तो वो एप में भरा हुआ दिखाई देता है लेकिन वेंटिलेटर की कमी बिल्कुल नहीं है.
एप पर डेटा अपडेट होने में समय लग रहा
सत्येंद्र जैन ने कहा कि ऐसा बिल्कुल नहीं है, इस पर हम नज़र बनाये हुए हैं. एप में डेटा दिन में कम से कम 2 बार रिवाइज होता है.. हो सकता है जिस समय आपने 40 बेड देखे उस वक्त बीच मे 5-7 मरीज़ और भर्ती हो गए. LNJP में 7एक दिन में 70-80 नए मरीज़ एडमिट हो रहे हैं. राजीव गांधी में कल रात में 70 से ज़्यादा मरीज़ सिर्फ रात में एडमिट हुए हैं. उस डेटा अपडेट होने में समय लग जाता है. उन्होंने कहा कि यदि किसी को एक जगह बेड नहीं मिल रहा तो दूसरी जगह कैसे भेजा जाए. मुझे लगता है कि एप देखकर ही जाएं, सबके फोन नम्बर दिए गये हैं. जाने से पहले फोन कर लें.
उन्होंने पत्रकारों से कहा कि आप लोगों को अस्पताल में फोन नहीं करना चाहिए. बहुत सारे पत्रकार फोन कर देते हैं वो मरीज़ की डिटेल पूछते हैं. ऐसी स्थिति में जब कोई जरूरतमंद फोन करता है तो अस्पताल वालों को लगता है कि ये फर्जी कॉल है. जो मरीज़ हैं वही कॉल करें तो बेहतर है. उन्होंने कहा कि आप लोग नोयडा में किसी भी प्राइवेट अस्पताल में आप एक भी मरीज़ को एडमिट करा कर दिखा दें. दिल्ली में हम सबको एडमिट करा रहे हैं. दिल्ली के भी और दिल्ली से बाहर के भी.
केंद्र सरकार पर साधा निशाना
सत्येंद्र जैन ने एक बार फिर से केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि अभी केंद्र के अस्पताल में बेड नहीं बढ़े हैं, उनसे दोबारा कल बात की है और रिक्वेस्ट की है. पिछली बार जब पीक आया था उस वक्त 4100 बेड केंद्र के थे, इस बार 1100 बेड हैं. जब उनसे पूछा गया कि क्या दोनों सरकारों के बीच में कोई तालमेल नहीं है तो उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है. रोज़ाना मिलजुल कर ही बात होती है सब बातों पर चर्चा होती है. क्योंकि इस बार केस बहुत तेज़ी बढ़े हैं तो दिल्ली सरकार ने अपने अस्पतालों में बेड तेज़ी से बढा दिए हैं, केंद्र के अस्पतालों में भी बढ़ाये जा रहे हैं. उन्होंने मना नहीं किया है, कहा है जल्द बढा देंगे.
उन्होंने कहा कि अबकी बार जरूरत या तो हॉस्पिटल की पड़ रही है या फिर लोग घर पर रहना पसंद कर रहे हैं बीच में जो रेलवे बोगी वाला सिस्टम था या जो कोविड केयर सेंटर है, उनकी ज़रूरत पड़ रही है. कोविड केयर सेंटर में कल 5525 बेड हैं जिसमे से सिर्फ 286 भरे हुए हैं. होटल और बैंक्वेट हाल को हॉस्पिटल से अटैच करने का आदेश आज शाम तक जारी हो जाएगा.
किसी भी शहर में अभी तक 13 हज़ार केस नहीं आए इस पर सत्येंद्र जैन ने कहा कि आज तक जितने भी टेस्ट हम कर रहे हैं किसी भी शहर में नहीं किए गए. दिल्ली में लगातार एक लाख से ज्यादा टेस्ट हम कर रहे हैं जो कि किसी भी शहर के हिसाब से दोगुने से भी ज्यादा है. हम बिल्कुल पारदर्शिता बरत रहे हैं, जो भी कर रहे हैं सबके सामने कर रहे हैं. टेस्टिंग 1 लाख से ऊपर कर रहे हैं जिसमें से 70% rt-pcr हैं.
लोगों से अस्पताल नहीं जाने की अपील की
इस दौरान उन्होंने लोगों से अपील की वे बेवजह अस्पताल न जाएं. उन्होंने कहा कि यह बिल्कुल सही है जैसे ही किसी को बुखार रहता है वह पॉजिटिव होता है तो तुरंत अस्पताल की ओर चल देते हैं. इसमें आपको भी दिक्कत है और हॉस्पिटल को भी दिक्कत है. जब तक सीरियस ना हो तब तक ना जाएं. बुखार कोई बहुत बड़ा लक्षण नहीं है. तभी एडमिट कराएं जब जरूरत हो 90% से ज्यादा लोग घर में आइसोलेशन में ठीक हुए हैं. सब लोग अगर अस्पताल में जाएंगे तो ज्यादा बीमार लोगों को बेड नहीं मिलेगा. यह मैं बिल्कुल अपील करता हूं कि अस्पताल में तभी जाएं जब आपको जरूरत हो.
क्या गैर जरूरत वाले मरीज़ों को अस्पताल से वापस भेजा जा रहा है, इस सवाल पर सत्येंद्र जैन ने कहा कि कुछ जगहों पर हम मरीज़ को कोविड केयर सेंटर में भेज देते हैं. कई लोगों का कहना है कि कोविड केयर सेंटर से अच्छा हम घर पर रह लेते हैं. ऐसे मामले आते हैं. टेस्ट रिपोर्ट में लगने वाले समय पर उन्होंने कहा कि टेस्टिंग 2 तरह से कर रहे हैं रैपिड की रिपोर्ट उसी समय आधे घंटे में बता दी जाती है. जो रैपिड में पॉजिटिव नहीं आता है और उसमें लक्षण है तो उसका rt-pcr भी करते हैं. टेस्ट की रिपोर्ट ज़्यादातर 24 घन्टे के अंदर आ रही है, अगर ऐसी कोई शिकायत है तो उसको जल्द से जल्द ठीक करा दिया जाएगा.
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सावधानी बरत कर कोरोना को हरा सकते हैं
सत्येंद्र जैन ने कहा कि यह क्राइसिस का समय है इसलिए सबको मिलकर कोरोना को हराना है. इस सदी के अंदर पहली बार इस तरह की महामारी आई है. पहले स्पेनिश फ्लू के नाम से आया था और इस बार कोविड-19 के नाम से. यह छोटी मोटी चीज नहीं है. कुछ लोगों को बिल्कुल भी डर नहीं लग रहा है. लेकिन थोड़ा सा तो डरना चाहिए कुछ लोग मास्क तक नहीं लगाते उनको पार्टी भी करनी है. एक दो महीने के लिए अगर हम कुछ चीजों से बच जाते हैं. अनावश्यक रूप से इधर उधर ना जाए सुरक्षा का पालन कर ले तो हम इससे पार पा लेंगे. कुछ लोगों को लगता है कि वह बहुत सेहतमंद है और करो ना उनका कुछ नहीं बिगाड़ लेगा हो सकता है कि वह सही है लेकिन अगर आप पॉजिटिव हो गए और संक्रमण घर में आए तो माता-पिता और बच्चों तक फैल सकता है.
इस दौरान उन्होंने साफ कहा कि पिछली बार लॉकडाउन लगाकर देखा था. लॉकडाउन से जो सबसे बड़ी सीख मिली वो यह कि अगर आप मास्क लगाएंगे तो इससे बच सकते हैं. कुछ लोगों का सोचना है कि हमने वैक्सीन लगवा ली, अब हमें मास्क की जरूरत नहीं है. लेकिन किसी ने ऐसा नहीं कहा अगर आपने वैक्सीन लगवा भी ली है तो भी आपको मास्क जरूर पहनना है.
HIGHLIGHTS
- सत्येंद्र जैन बोले- दिल्ली में बेड्स की कोई कमी नहीं
- 'लोग ज्यादा जरूरत पड़ने पर ही अस्पताल जाएं'