दिल्लीवासियों पर कोरोना और प्रदूषण की दोनों की दोहरी मार पड़ रही है. राजधानी दिल्ली में कोरोना के मामलों में लगातार इजाफा होता जा रहा है. दिल्ली में कोरोना के 4998 मामले सामने आए है. इसी पर न्यूज नेशन से दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने खास बातचीत की और बढ़ते कोरोना संक्रमण सहित किसानों के आंदोलन पर महत्वपूर्ण बातें कही.
सत्येंद्र जैन का कहना है कि दिल्ली में कोरोना पॉजिटिन मरीजों की संख्या में कमी आई है. उन्होंने कहा कि अभी 7.24% पॉजिटिविटी टी थी, जबकि 7 नवम्बर को 15.26% थी. दिल्ली में पॉजिटिविटी आधे से भी कम पर आ गई है ये थोड़ा संतोषजनक है. इसका मतलब है कि दिल्ली में कोविड का प्रकोप कम हो रहा है.
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RTPCR की रिपोर्ट देरी से आने के चलते क्या आंकड़े कम हुए हैं?-
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि RTPCR जिसका रिपोर्ट आ गई है सिर्फ उसको ही काउंट करते हैं, जिसकी पेंडिंग है उसे काउंट नहीं करते. ICMR ने और केंद्र सरकार ने कहा था RTPCR की कैपेसिटी बढा रहे हैं.. उसके हिसाब से टेस्ट हमने इकठ्ठे कर दिए हैं उतने अभी लैब्स कर नहीं पा रही हैं जितना उन्होंने कहा था.
ऑक्सिजन की कमी हो सकती है?
सत्येंद्र जैन ने आगे कहा कि परसों थोड़ी दिक्कत हुई थी और उसको resolve कर दिया गया था क्योंकि ये लाइफ सेविंग है उसको किसी ने रोका नहीं है.. 2-3 घन्टे बाद restore हो गया था. मुझे नहीं लगता कि ऑक्सिजन को कोई रोकेगा.. पुलिस को भी नहीं रोकना चाहिये और आंदोलनकारी तो कोई रोक नहीं रहा. सिंघु बॉर्डर से गैस नहीं आती राजस्थान और यूपी से आती है..
दफ्तरों में 50% स्टाफ कम करने पर-
दिल्ली स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि क्लास 1 ऑफिसर्स को सबको आना है और उससे नीचे के जो लोग हैं उनमें से 50% को आना है.. प्राइवेट ऑफीस को कहा गया है कि वो जितना कम कर सकते हैं करें. अभी उनसे request की गई है. ज़्यादातर बड़े बड़े ऑफिस ने वर्क फ्रॉम होम 31 दिसम्बर तक पहले ही किया हुआ है.
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किसान आंदोलन पर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के बयान पर-
उन्होंने कहा कि इसमे कोई कंडीशन थोड़ी लगनी चाहिए कि कब बात करेगी सरकार. बात तुरन्त करनी चाहिए. कंडीशन वाली बात थोड़ी है. हमारे देश के किसान हैं, हमारे अन्नदाता हैं. उनसे तुरन्त बात करनी चाहिए और जहां वो चाहें उन्हें बैठने देना चाहिये.
आंदोलन चलता रहा तो दिल्ली में किसी तरह की परेशानी होगी?
किसानों के आंदोलन पर सत्येंद्र जैन ने कहा कि परेशानी तो किसानों की देखिये ना वो अपने घर से कई सौ किलोमीटर से आये हैं, उनकी परेशानी को देखिय उनको कितनी परेशानी है.को ई खुशी से नहीं आया है. अपनी आवाज़ को रखने के लिए. कोई न कोई तो आवाज़ रखेगा ना, लोकतंत्र है तो उनको शांतिपूर्ण तरीके से अपनी आवाज रखने का पूरा अधिकार है और वो जहां चाहें अपने अधिकार का प्रयोग कर सकते हैं.
Source : News Nation Bureau