दिल्ली हाई कोर्ट ने सीलिंग के खिलाफ व्यापारियों के विरोध के बाद मास्टर प्लान के प्रस्तावित संशोधन पर असहमति जताते हुए कहा कि 'कुछ लोगों ने शहर को बंधक बना लिया है।'
कार्यवाहक चीफ जस्टिस गीता मित्तल और जस्टिस सी हरिशंकर की बेंच ने कहा कि धरने पर बैठकर आप मास्टर प्लान में बदलाव करवा सकते हैं।
बेंच ने कहा, 'इसलिए नहीं कि इसकी जरूरत है और ना ही इस बात की जांच करने के बाद कि क्या शहर इसे संभाल सकता है। बल्कि यह इसलिए किया गया कि कुछ सौ लोग धरने पर बैठ गए।'
बेंच ने कहा, 'मास्टर प्लान में संशोधन किया जा रहा है क्योंकि व्यापारियों ने अपनी दुकानों को बंद करके शहर को बंधक बना लिया।'
अदालत ने सरकारी जमीन पर अवैध निर्माण और अतिक्रमण से जुड़े मामले पर सुनवाई करते हुए अधिकारियों से पूछा कि क्या मास्टर प्लान-2021 में प्रस्तावित संशोधन से पहले पर्यावरण पर असर का आकलन किया गया।
मास्टर प्लान-2021 शहरी योजना और मेट्रोपोलिस के विस्तार के लिेए ब्लूप्रिंट है जिसका लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि दुकानों और आवासीय प्लॉटों की दरें एक समान हों।
दिल्ली के व्यापारियों ने आवासीय इलाकों में चल रहे व्यवसायिक प्रतिष्ठानों की सीलिंग के विरोध में दो फरवरी को अपनी दुकानें बंद कर दी थी।
इसके बाद दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) ने मास्टर प्लान में संशोधन का प्रस्ताव दिया था।
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि दिल्ली की इमारतों के निर्माण को मंजूरी देने के कानूनों को पूरी तरीके से तोड़ा गया। कोर्ट ने अवैध निर्माण पर चिंता जताई थी।
न्यायमूर्ति मदन बी. लोकूर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने शुक्रवार को दिल्ली सरकार और दिल्ली विकास प्राधिकरण और स्थानीय प्राधिकारियों को एक सप्ताह के भीतर हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया था।
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Source : News Nation Bureau