कोरोना वायरस संक्रमण ने राजधानी दिल्ली में बड़ा संकट खड़ा कर दिया है. कोरोना मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ने के साथ ही अस्पतालों में स्थिति बद से बदतर होती जा रही है. राष्ट्रीय राजधानी में दवाओं से लेकर ऑक्सीजन तक की मारामारी मारी है. बिना ऑक्सीजन के दिल्ली में मरीजों की जान जा रही है. इस बीच दिल्ली हाईकोर्ट ने ऑक्सीजन की कमी को लेकर सख्त टिप्पणी की है. हाईकोर्ट ने कहा है कि कोई भी बड़े से बड़ा अधिकारी ऑक्सीजन की सप्लाई में दिक्कत डालेगा तो हम उसे छोड़ेंगे नहीं.
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दिल्ली हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी राजधानी के महाराजा अग्रसेन अस्पताल की याचिका पर की है. ऑक्सीजन की कमी को लेकर आज महाराजा अग्रसेन अस्पताल ने दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया. अस्पताल ने कहा कि हमारे पास 306 कोरोना के मरीज हैं. हमको ऑक्सीजन नहीं मिली तो हमें उन्हें डिस्चार्ज करना पड़ेगा. इसके बाद हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार की खिंचाई करते हुए कहा कि जिम्मेदारी आपकी सरकार की बनती है, आप भी खुद का ऑक्सीजन प्लांट लगाइए.
इस दौरान दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि बंटवारे के लिहाज से 480 मैट्रिक टन ऑक्सीजन मिलने के बजाए, हमें कल महज 295 मेट्रिक टन ऑक्सीजन मिली. इसके बाद हाईकोर्ट ने सख्त लहजे में कहा कि ऑक्सीजन की सप्लाई में कोई भी दिक्कत डालेगा, हम उसे छोड़ेंगे नहीं. फिर चाहे वो किसी जूनियर अधिकारी हो या सीनियर अधिकारी. जयपुर गोल्डन हॉस्पिटल ने भी कोर्ट से ऑक्सीजन की किल्लत को लेकर बात रखी.
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अस्पताल ने कहा कि कल ऑक्सीजन न मिल पाने की वजह से 25 लोग मर गए. वहीं बत्रा हॉस्पिटल की ओर से कहा गया कि उनके 33 मरीज ICU में हैं. कुल 160 को ऑक्सीजन चाहिए. हमें जो टैंकर मिला है, वो ऑक्सीजन 1 घंटे से ज़्यादा नहीं चलने वाली. अग्रसेन हॉस्पिटल ने भी कहा कि ऑक्सीजन खत्म होने के कगार पर है.
कोर्ट ने अग्रसेन और बत्रा हॉस्पिटल दोनों से कहा कि वो नोडल अधिकारी से सम्पर्क करें. हम ये नहीं कह सकते कि एक हॉस्पिटल को पहले ऑक्सीजन सप्लाई की जाये, दूसरे को नहीं. इसके बाद केंद्र सरकार के नोडल अधिकारी ने बताया कि उत्तर प्रदेश से 20 मेट्रिक टन ऑक्सीजन आना था, लेकिन टैंकर ना होने की वजह से नहीं आ सका. हाइकोर्ट ने दिल्ली सरकार को खिंचाई करते कहा कि सभी राज्य अपने लिए ऑक्सीजन लाने के लिए टैंकर की व्यवस्था खुद कर रहे हैं. आप ऐसा क्यों नहीं कर सकते? आपके पास टैंकर नहीं है तो व्यवस्था कीजिए. केंद्र सरकार के अधिकारियों के संपर्क में रहिये.
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कोर्ट ने कहा कि आईआईटी दिल्ली की रिपोर्ट के मुताबिक, बीमारी का पीक मई के मध्य में आना है. सवाल ये है कि उसको लेकर हमारी क्या तैयारी हैं. सबसे दुखद है कि अगर हम उन लोगों को न बचा सके, जिन्हें बचाया जा सकता था. ऐसे लोगों की ज़िंदगी बचाना हमारा फर्ज है. केंद्र सरकार की ओर से SG तुषार मेहता ने कहा कि इस पर ध्यान दिया जा रहा है. हम कोई पैनिक नहीं करना चाहते हैं. उम्मीद करते हैं कि ये सच न हो, पर अनुमान है कि स्थिति और खराब हो सकती है (मरने वालों की तादाद बढ़ सकती है). हमें इसके लिए तैयार रहना चाहिए.
HIGHLIGHTS
- दिल्ली में ऑक्सीजन की भारी कमी
- अस्पतालों ने हाईकोर्ट से लगाई गुहार
- दिल्ली हाईकोर्ट ने दिया सख्त आदेश