दिल्ली हाईकोर्ट ने आदेश दिया है कि सभी निजी स्कूल पिछले साल 2020-21 से शैक्षाणिक सत्र का वार्षिक और विकास शुल्क छात्रों से ले सकते हैं. दिल्ली हाई कोर्ट ने कोरोना के दौरान निजी स्कूलों के छात्रों से वार्षिक और विकास शुल्क वसूलने पर रोक लगाने के दिल्ली सरकार के आदेश को निरस्त कर दिया है. हाई कोर्ट ने कहा कि निदेशालय को कोई अधिकार नहीं कि वे स्कूलों को अनंत काल के लिए ऐसा करने से रोक कर रखे. इससे स्कूलों के साथ पक्षपात होगा और उनके कामकाज में बेतुकी बाधाएं पैदा कर सकता है.
हाईकोर्ट ने शिक्षा निदेशालय के बीते साल 18 अप्रैल और 28 अगस्त को जारी आदेशों में संबंधित हिस्से को अवैध मानते हुए निरस्त किया. कोर्ट ने कहा कि स्कूलों को एनुअल चार्जिस और डिवेलपमेंट फीस लेने से रोका जाला अवैध और डीएसई ऐक्ट के कानून और नियमों के खिलाफ है. हाई कोर्ट ने प्राइवेट स्कूलों की अनएडिड कमिटी की याचिका पर यह फैसला सुनाया. साथ ही कुछ निर्देश भी जारी किए जिए ताकि स्कूल इसकी वसूली के लिए स्टूडेंट्स की पढ़ाई में बाधा न डालें.
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कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि अभिभावकों को यह रकम चुकाने के दौरान 15 फ़ीसदी की छूट स्कूलों के द्वारा दी जाए. बता दें कि पीठ ने उक्त टिप्पणी करते हुए शिक्षा निदेशालय के 18 अप्रैल, 2020 और 28 अगस्त, 2020 को जारी आदेशों को निरस्त कर दिया. पीठ ने यह भी कहा कि नियमित स्कूल खुलने का वार्षिक और विकास शुल्क से कोई लेना देना नहीं है. शिक्षा निदेशालय ने ये आदेश जारी कर कहा था कि कोरोना महामारी के कारण जब तक नियमित रूप से स्कूल नहीं खुल जाते हैं तब तक वार्षिक और विकास शुल्क लेने पर रोक लगा दी थी.
Source : News Nation Bureau