देश में ब्लैक फंगस की बीमारी से लोगों के मन में भय पैदा हो गया है. पहले कोरोना संक्रमण से लोग परेशान है उसके बाद अब ब्लैक फंगस के मरीज को दवा मिलने में दिक्कत हो रही है. इसी को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट ने सुनावाई की. हाई कोर्ट ने कहा है कि राजधानी में ब्लैक फंगस के इलाज में इस्तेमाल हो रहे Amphotericin B दवाई की मांग और सप्लाई के बीच बहुत अंतर है. जितनी अभी सप्लाई हो रही है, उससे तिगुना अभी दवाई की ज़रूरत है. इस अंतर को कम करने की ज़रुरत है.
कोर्ट ने इस पर केन्द्र सरकार से जवाब मांगा है. 27 मई को अगली सुनवाई होनी है.
दिल्ली के अस्पतालों में ब्लैक फंगस संक्रमण से लड़ने के लिए दवाओं की कमी : केजरीवाल
कोविड महामारी की दूसरी लहर के बीच, दिल्ली न केवल वैक्सीन की कमी से जूझ रही है, बल्कि ब्लैक फंगस संक्रमण से ग्रस्त रोगियों के इलाज के लिए आवश्यक दवाओं की कमी से भी जूझ रही है. यह बात सोमवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कही. पिछले कुछ दिनों में बड़ी संख्या में ब्लैक फंगस के मामलों का निदान किया गया है और अभी तक राष्ट्रीय राजधानी के एक दर्जन से अधिक अस्पतालों में 500 से अधिक रोगियों का इलाज किया जा रहा है.
केजरीवाल ने कहा कि कोविड देखभाल के लिए समर्पित कई सरकारी अस्पताल मरीजों के लिए दवाओं की कमी से जूझ रहे हैं. इनमें गुरु तेग बहादुर, लोक नायक जय प्रकाश और राजीव गांधी सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल शामिल हैं. केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली सरकार को रविवार को ब्लैक फंगस के लिए दवाएं नहीं मिलीं, जबकि मामलों की संख्या 500 को पार कर गई.
मुख्यमंत्री ने सवाल पूछते हुए कहा, हमें कल दवा नहीं मिली. ऐसे में हम बिना दवा के मरीजों का इलाज कैसे कर सकते हैं? इंजेक्शन दिन में चार से पांच बार दिया जाता है. अगर हमें इंजेक्शन ही नहीं दिया जाएगा तो हम मरीजों का इलाज कैसे कर सकते हैं? केजरीवाल ने कहा कि आज दिल्ली को ब्लैक फंगस से संक्रमित मरीजों के लिए प्रतिदिन लगभग 2,000 इंजेक्शन की आवश्यकता है, लेकिन राजधानी में केवल 400 से 500 इंजेक्शन उपलब्ध कराए जा रहे हैं.
उन्होंने कहा, दवा की अत्यधिक कमी है और इसका उत्पादन बढ़ाया जाना चाहिए. चूंकि 4-5 इंजेक्शन प्रतिदिन देने की आवश्यकता होती है और लगभग 500 रोगी होते हैं तो हमें प्रतिदिन 2,000 इंजेक्शन की आवश्यकता है, लेकिन हमें केवल 400 से 500 इंजेक्शन ही मिल रहे हैं.