दिल्ली जल बोर्ड के उपाध्यक्ष राघव चड्ढा ने कहा कि हरियाणा की ओर से दिल्ली में आने वाले यमुना नदी के पानी में अमोनिया का स्तर काफी बढ़ गया है. इसको लेकर दिल्ली जल बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है. सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की अदालत ने हरियाणा सरकार को नोटिस जारी कर इस संबंध में जवाब मांगा है. मामले को तत्काल सुनवाई की सूची में शामिल करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 19 जनवरी (मंगलवार) को अगली सुनवाई करने का निर्णय किया है. दिल्ली जल बोर्ड ने अपनी याचिका में कहा है कि अमोनिया का स्तर बढ़ने से वाटर ट्रीटमेंट प्लांट में पानी को साफ करने की क्षमता पर असर पड़ा है. इसकी वजह से दिल्ली में पीने के पानी की आपूर्ति पर प्रभाव पड़ा है.
दिल्ली जल बोर्ड के उपाध्यक्ष राघव चड्ढा ने कहा कि अमोनिया का स्तर बढ़ने से वजीराबाद और चंद्रावल वाटर ट्रीटमेंट प्लांट की जल शोधन क्षमता घटकर 50 फीसदी हो गई है. पानी में अमोनिया का स्तर 0.5 से 0.75 पीपीएम के बीच होना चाहिए, जो बढ़कर 10 पीपीएम तक हो गया है. दिल्ली जल बोर्ड ने हरियाणा सरकार, अधिकारियों और इंजीनियरों से कई बात कर इस समस्या का निदान करने की अपील की है, लेकिन सरकार की तरफ से अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है.
दिल्ली जल बोर्ड के उपाध्यक्ष राघव चड्ढा ने कहा कि पिछले कुछ दिनों से हम देख रहे हैं कि हरियाणा की ओर से यमुना नदी में जो पानी दिल्ली आता है, उसमें प्रदूषण की मात्रा बहुत ज्यादा है. पानी में अमोनिया का स्तर बहुत ज्यादा बढ़ गया है. जिसके चलते दिल्ली के अंदर जलापूर्ति करने में थोड़ी समस्या आ रही है. हमारे दो मुख्य वाटर ट्रीटमेंट प्लांट वजीराबाद और चंद्रावल में पानी का उत्पादन होता है. इन दोनों वाटर ट्रीटमेंट प्लांट की पानी की उत्पादन क्षमता घट गई है. जहां पहले दोनों वाटर ट्रीटमेंट प्लांट 100 प्रतिशत क्षमता के साथ पानी का उत्पादन कर रहे थे, वहीं आज दोनों प्लांट अपनी 50 प्रतिशत क्षमता के साथ काम कर रहे हैं.
राघव चड्ढा ने कहा कि दिल्ली लैंडलॉक्ड शहर है. दिल्ली के पानी के मामले में अन्य राज्यों से आ रही जल निकायों और नदियों पर निर्भर होता है. हरियाणा की ओर से यमुना नदी का दिल्ली को जो पानी आता है, उसमें प्रदूषण बहुत मिल रहा है. पानी में प्रदूषण का स्तर बहुत ज्यादा है. जिसको हम तकनीकी भाषा में अमोनिया कहते हैं. प्रदूषण को अगर मापें तो इसका इंडेक्स पीपीएम होता है. पानी का पीपीएम औसतन 0.5 से लेकर 0.75 तक होता है. वाटर ट्रीटमेंट प्लांट उस पानी को आराम से साफ करके पीने लायक मीठे पानी का उत्पादन करते हैं.
आज हरियाणा द्वारा उस पानी में इतना प्रदूषण, अमोनिया डाला गया है कि पीपीएम का स्तर 0.5-0.75 से बढ़कर 10 पीपीएम तक पहुंच गया है. हमारी उत्पादन क्षमता में लगातार समस्या आ रही हैं. इस समस्या को लेकर हमने हरियाणा सरकार का दरवाजा खटखटाया. हरियाणा सरकार के अधिकारियों, इंजीनियरों से कई बार बात कर अनुरोध भी किया कि इस स्थिति का संज्ञान लें और इसको सुधारें. दिल्ली की दो करोड़ जनता को हरियाणा सरकार की लापरवाही के चलते पानी ठीक नहीं मिल पा रहा है. पानी की सप्लाई में कमी महसूस हो रही है, लेकिन हरियाणा सरकार ने कुछ बहुत ठोस कदम इस दिशा में अभी तक नहीं उठाया है. जिसके चलते दिल्ली जल बोर्ड को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा है.
राघव चड्ढा ने कहा कि मैं दिल्ली की जनता को बताना चाहता हूं कि इस पूरी समस्या को दूर करने के लिए दिल्ली जल बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर के हस्तक्षेप मांगा है. मुझे बताते हुए खुशी हो रही है कि आज यह मामला देश के मुख्य न्यायाधीश के कोर्ट में आया. देश के मुख्य न्यायाधीश साहब ने हरियाणा सरकार को नोटिस जारी किया है. इस पूरे मसले और समस्या पर हरियाणा सरकार से जवाब मांगा है. इस मसले की तत्काल सुनवाई के लिए सूची में शामिल किया गया है और मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई होगी. तब तक हरियाणा सरकार का जवाब आ जाएगा. मुझे पूरा विश्वास है कि सुप्रीम कोर्ट का दिल्ली की जनता के हित में अहम फैसला जरूर आएगा. इस दौरान राघव चड्ढा ने मीडिया को संबोधित करते हुए ये प्रमुख बातें कहीं
- यमुना के पानी में अमोनिया के स्तर को कम करने के लिए हरियाणा सरकार की तरफ से ठोस कदम नहीं उठाने पर दिल्ली जल बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की, कोर्ट ने नोटिस जारी कर जवाब मांगा.
- सुप्रीम कोर्ट ने मामले को तत्काल सुनवाई की सूची में शामिल किया है और अगली सुनवाई 19 जनवरी, मंगलवार को होगी.
- दिल्ली जल बोर्ड ने अपनी याचिका में कहा है कि अमोनिया का स्तर बढ़ने से वाटर ट्रीटमेंट प्लांट की पानी साफ करने की क्षमता पर असर पड़ा है, इससे दिल्ली में पीने के पानी की आपूर्ति प्रभावित हुई है.
- हरियाणा की तरफ से दिल्ली में आने वाले यमुना नदी के पानी में अमोनिया का स्तर काफी ज्यादा है, जिससे दिल्ली जल बोर्ड की जल उत्पादन और उपचार क्षमता पर विपरीत असर पड़ा है.
- दिल्ली जल बोर्ड के वजीराबाद और चंद्रावल वाटर ट्रीटमेंट प्लांट की जल शोधन क्षमता अमोनिया का स्तर बढ़ने की वजह से घटकर 50 फीसदी हो गई है.
- पानी में अमोनिया का स्तर 0.5 से 0.75 पीपीएम के बीच होना चाहिए, जो बढ़कर 10 पीपीएम तक हो गया है.
- दिल्ली जल बोर्ड ने हरियाणा सरकार और उसके अधिकारियों व इंजीनियरों से कई बार बात कर समस्या का निदान करने की अपील की, लेकिन हरियाणा सरकार ने अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया है.
Source : News Nation Bureau