दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना और अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में आम आदमी पार्टी की सरकार के बीच तकरार कम होने का नाम नहीं ले रहा है. इस बीच एलजी ने आप सरकार के खिलाफ एक और मोर्चा खोलकर उनकी टेंशन बढ़ा दी है. एलजी विनय कुमार सक्सेना ने मंगलवार को दिल्ली के मुख्य सचिव को आम आदमी पार्टी की सरकार द्वारा बिजली वितरण कंपनी बीएसईएस को दी जाने वाली बिजली सब्सिडी में कथित अनियमितताओं की जांच के आदेश दिए हैं. साथ ही इस मामले में उन्होंने 7 दिनों में रिपोर्ट मांगी है. इस पर उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि पिछली सारी जांचों के नतीजे कहां हैं?
दिल्ली में पावर सब्सिडी मामले में एलजी ने मुख्य सचिव से कहा है कि वे इस मामले की जांच करें कि जब 2018 में DERC यानी दिल्ली इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमिशन ने दिल्ली सरकार से कहा था कि वह बिजली पर दी जाने वाली सब्सिडी DBT यानी उपभोक्ताओं के बैंक खातों में सीधे ट्रांसफर करने पर विचार कर सकती है जैसा एलपीजी के मामले में की जा रही है तो फिर इसको अब तक लागू क्यों नहीं किया गया है? उपराज्यपाल के मुताबिक, उनके सचिवालय को इस मामले में बहुत बड़े घोटाले की शिकायत मिली है.
आरोप के अनुसार
- आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता और डायलॉग एंड डेवलपमेंट कमीशन के उपाध्यक्ष जैस्मिन शाह, आम आदमी पार्टी के सांसद एनडी गुप्ता के बेटे नवीन गुप्ता... इन दोनों को बीआरपीएल और बीवाईपीएल में डायरेक्टर बनाया गया और इन्होंने बड़ा घोटाला किया.
- यह Discom कंपनियां अनिल अंबानी ग्रुप की है, जिसमें दिल्ली सरकार 49% की हिस्सेदार है.
प्रतिष्ठित वकीलों, जूरिस्ट और लॉ प्रोफेशनल ने आरोप लगाया है कि यह भ्रष्टाचार का सबसे पुख्ता मामला है. ये है पूरा मामला
- दिल्ली सरकार को 21,250 करोड़ रुपये डिफ़ॉल्ट वेंडर DISCOM (BRPL,BYPL) से वसूलने थे (पावर परचेस के लिए की गई लेट पेमेंट के नाम पर)
- लेकिन सरकार ने एक डील के तहत 11,550 करोड़ रुपये का सेटलमेंट कर दिया (क्योंकि एक तरफ दिल्ली सरकार ने डिस्कॉम से पैसा लेना था तो वहीं सब्सिडी का पैसा डिस्कॉम को देना भी था)
- वहीं इस लेटर में यह भी जिक्र किया गया है कि तीसरी कंपनी टाटा पावर है जिस पर कोई बकाया नहीं था यानी इसको क्लीन चिट दी है
- DISCOM उपभोक्ता से देरी से पेमेंट होने पर 18 फ़ीसदी सरचार्ज वसूलती रही और सरकार को 12% देती रही जिससे बिजली वितरण कंपनियों को 8500 करोड़ रुपये विंडफॉल गेन हुआ जो कि सरकारी खजाने की कीमत पर हुआ
- 2015-16 के अपने ही कैबिनेट फैसले का उल्लंघन किया जिसमें बीआरपीएल और बीवाईपीएल का हर साल ऑडिट करने की बात कही गई थी.
- 11,500 करोड़ रुपये के सेटलमेंट का भी ऑडिट नहीं हुआ
- उपभोक्ताओं को पावर सब्सिडी देने के मामले में DBT योजना रोकी, जबकि 2018 में दिल्ली इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमिशन के आर्डर के विपरीत हैं. ऐसा इसलिए किया गया ताकि लाभार्थियों की असल संख्या को छुपाया जा सके और DISCOMS को पैसा देकर उनसे कमीशन लिया जा सके.
- शिकायत में यह भी आरोप लगाया गया है कि पहले बिजली वितरण कंपनियों में दिल्ली सरकार के वरिष्ठ अधिकारी डायरेक्टर हुआ करते थे लेकिन आम आदमी पार्टी की सरकार में पॉलिटिकल लोगों को डायरेक्टर बनाया गया.
वहीं, दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने ट्वीट कर कहा कि गुजरात हारने का डर न जाने इनसे और कितनी फर्जी जांच करवाएगा. जनता को फ्री बिजली न मिले इसके लिए भी जांच की साजिश पर उतर आए. अब जनता को दी जा रही फ्री बिजली में भी अनियमितता है? पिछली सारी जांचों के नतीजे कहा है? गुजरात में सीएम अरविंद केजरीवाल को मिलता जनसमर्थन ये बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं.
Source : News Nation Bureau