केंद्र के अध्यादेश पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने मामले पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर दो हफ्ते में जवाब मांगा. वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने उप राज्यपाल (LG) को राहत देते हुए पक्षकार बनने की इजाजत दी. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट से तीन मुद्दों को छोड़कर ट्रांसफर-पोस्टिंग समेत अन्य चीजों की देखरेख का अधिकार दिल्ली सरकार को मिला था, लेकिन 19 मई को केंद्र सरकार ने अध्यादेश लाकर फिर से दिल्ली का बॉस उप राज्यपाल को सौंप दिया. केंद्र सरकार के फैसले के खिलाफ दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की.
Supreme Court issues notice to Centre on a plea of Delhi government challenging the constitutional validity of Ordinance issued by the Centre relating to control over bureaucrats pic.twitter.com/6uTFJ6bGGI
— ANI (@ANI) July 10, 2023
LG सुपर सीएम की तरह काम कर रहे
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार की ओर से पेश वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने उप राज्यपाल पर आरोप लगाते हुए कहा कि दिल्ली में LG सुपर CM की तरह काम कर रहे हैं. लोकतांत्रिक तरीके से चुनी हुई सरकार के कामों को बाधित करने की कोशिश की जा रही है.
अध्यादेश लोकतांत्रिक सिद्धांतों का उल्लंघन
दिल्ली सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में लगाई गई याचिका में कहा गया कि केंद्र ने अध्यादेश लाकर लोकतांत्रिक सिद्धांतों का उल्लंघन किया है और चुनी हुई सरकार के अधिकारों को हड़पने की कोशिश की है. केंद्र का यह अध्यादेश, संघवाद के बुनियादी सिद्धांतों को कमजोर करता है.
क्या है अध्यादेश, जिसपर मचा है हंगामा
दरअसल, केंद्र सरकार ने दिल्ली के लिए राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार अधिनियम, 1991 में संशोधन कर अध्यादेश लागू किया है. इस अध्यादेश के तहत राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण (NCCSA) का गठन होगा. इसके तहत ट्रांसफर-पोस्टिंग और विजिलेंस का अधिकार होगा. दिल्ली के मुख्यमंत्री इस प्राधिकरण के प्रमुख होंगे. वहीं, दिल्ली के मुख्य सचिव, प्रधान गृह सचिव प्राधिकरण के सचिव होंगे. ट्रांसफर-पोस्टिंग का फैसला सिर्फ सीएम के पास नहीं होगा बल्कि बहुमत के आधार पर लिया जाएगा. यानी सीएम की सलाह के बाद उपराज्यपाल (LG) का फैसला अंतिम माना जाएगा .
Source : News Nation Bureau