दिल्ली में अधिकारियों के ट्रांसफर पोस्टिंग से जुड़े केंद्र सरकार के अध्यादेश को लेकर केंद्र, उपराज्यपाल और आप सरकार के बीच विवाद जारी है. इधर मंगलवार को मोदी कैबिनेट से दिल्ली अध्यादेश को मंजूरी मिलने के बाद अब केंद्र सरकार इसे संसद में पेश करने की तैयारी में है. सरकार संसद के मानसून सत्र में बिल लाने जा रही है. खबर है कि 31 जुलाई (सोमवार) को दिल्ली अध्यादेश बिल लोकसभा में लाया जाएगा. गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह इस बिल को पेश करेंगे. बता दें कि केंद्र सरकार ने 19 मई को ये अध्यादेश जारी किया था. केंद्र की ओर से जारी किए गए अध्यादेश में दानिक्स कैडर के ग्रुप-ए अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही और तबादलों के लिए राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण का गठन किया है.
वहीं, दूसरी ओर अध्यादेश का दिल्ली सरकार पुरजोर विरोध कर रही है. आप ने इस अध्यादेश को असंवैधानिक करार दिया है. अरविंद केजरीवाल ने इसको लेकर विपक्षी दलों के प्रमुखों से मुलाकात कर राज्यसभा में बिल के खिलाफ वोटिंग करने की अपील की है. केंद्र की ओर से अध्यादेश आने के बाद से अरविंद केजरीवाल लगातार विपक्षी दलों के नेताओं से मिलकर बिल के खिलाफ आवाज उठाने की मांग कर रहे हैं.
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कांग्रेस ने भी केजरीवाल का किया समर्थन
कुछ विपक्षी पार्टियों को छोड़कर गैर बीजेपी दलों ने केजरीवाल को समर्थन करने का ऐलान किया है. बेंगलुरु बैठक से पहले कांग्रेस ने भी केजरीवाल का समर्थन करते हुए कहा कि वह राज्यसभा में इस बिल का विरोध करेगी. केजरीवाल ने पटना में विपक्षी गठबंधन की बैठक में शर्त रखी थी कि जबतक कांग्रेस बिल के खिलाफ आप का समर्थन नहीं करेगी तबतक वह अगामी होने वाली बैठकों में हिस्सा नहीं लेगी. ऐसे में विपक्षी दलों की दूसरी बैठक बेंगलुरु में होने से पहले ही कांग्रेस ने केजरीवाल को समर्थन करने का ऐलान कर दिया. कांग्रेस के ऐलान पर केजरीवाल ने खुशी जाहिर की थी.
5 जजों की संविधान पीठ केरगी मामले की सुनवाई
वहीं, इस मामले को सुप्रीम कोर्ट ने 5 जजों की संविधान पीठ को सौंपा है. जल्द ही इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ करेगी. दरअसल, 11 मई को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में कानून व्यवस्था, लॉ एंड ऑर्डर और जमीन को छोड़कर अन्य चीजों पर नियंत्रण का अधिकार दिल्ली सरकार को दिया था, लेकिन 19 मई को केंद्र ने अध्यादेश लाकर दिल्ली सरकार को अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग करने के अधिकार पर रोक लगा दी.