पिछले साल 23 फरवरी 2020 को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में अचानक दंगा भड़क गया था. उत्तर पूर्व दिल्ली के जाफराबाद के सात कई अन्य इलाकों में रक्तपात, संपत्ति विनाश, दंगों और हिंसक घटनाओं आदि हुई थी. दिल्ली के इस दंगे में 53 के लगभग लोग मारे गए थे और सैकड़ों लोग लापता हो गए थे. इस दंगे की शुरुआत उत्तर पूर्वी दिल्ली के जाफराबाद में हुई थी, जहां भारत के नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 के खिलाफ महिलाओं द्वारा बैठकर सीलमपुर - जाफराबाद - मौजपुर मार्ग को अवरुद्ध किया गया था. इसको लेकर भाजपा नेता कपिल मिश्रा ने दिल्ली पुलिस से सड़कों को खाली करने का आह्वान किया था. आरोप है कि इसी के बाद दिल्ली में हिंसा भड़क उठी थी.
दिल्ली दंगे से पहले विवादित बयान
भारतीय जनता पार्टी के नेता अनुराग ठाकुर ने चुनाव से पहले कहा था देश के गद्दारों को - जिसके बाद जवाब में लोगन ने कहा था गोली मारो सालों को. इससे पहले AIMIM के नेता वारिस पठान ने कुछ दिन पहले एक रैली में भड़काऊ बयान दिया था कि हम 15 करोड़ है मगर 100 करोड़ के ऊपर भारी पड़ेंगे। जिसके बाद उन पर मामला दर्ज किया गया है।
हर्ष मंदर भी नागरिकता कानून के विरोध और सुप्रीम कोर्ट को लेकर आपत्तिजनक बयान दिया था. हर्ष मंदर पूर्व आईएएस अधिकारी हैं. मनमोहन सिंह के कार्यकाल के दौरान वे राष्ट्रीय सलाहकार परिषद के सदस्य रह चुके हैं. उन्होंने 16 दिसंबर को जामिया के गेट नंबर 7 पर पहुंचे, यहां उन्होंने प्रदर्शनकारियों से सुप्रीम कोर्ट में यक़ीन न रखने की सलाह दी और कहा कि अपनी लड़ाई सड़कों पर उतरकर लड़ना होगा".
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के पूर्व छात्र नेता उमर खालिद ने अपने भाषण में कहा था, "जब अमरीका के राष्ट्रपति ट्रंप भारत में होंगे तो हमें सड़कों पर उतरना चाहिए. 24 तारीख को ट्रंप आएंगे तो बताएंगे कि हिंदुस्तान की सरकार देश को बांटने की कोशिश कर रही है. महात्मा गांधी के उसूलों की धज्जियां उड़ रही हैं. ये बताएंगे कि हिंदुस्तान की आवाम हिंदुस्तान के हुक़्मरानों के ख़िलाफ़ लड़ रही है. उस दिन हम तमाम लोग सड़कों पर उतरकर आएंगे".
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने 14 दिसंबर 2019 को अपने भाषण में कहा था, "समाज और देश की जिंदगी में कभी-कभी ऐसा वक्त आता है कि उसे इस पार या उस पार का फैसला लेना पड़ता है. आज वही वक्त आ गया है."
Source : News Nation Bureau