‘स्टूडेंट ऑफ जामिया’ (एसओजे) नामक एक कट्टरपंथी सांप्रदायिक संगठन ने रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में उच्चतम न्यायालय के फैसले के विरूद्ध जामिया मिल्लिया इस्लामिया (जेएमआई) के विद्यार्थियों को एकजुट करने के लिए पर्चे बांटे थे. दिल्ली पुलिस ने आरोपपत्र में यह आरोप लगाया है. दिल्ली पुलिस ने आरोप लगाया कि सांप्रदायिक दंगे के मुख्य साजिशकर्ताओं में शामिल सरजील इमाम एसओजे के संपर्क में था. यहां सोलह सितंबर को एक अदालत में दाखिल किये गये आरोपपत्र में पुलिस ने यह आरोप भी लगाया कि ‘मुस्लिम स्टूडेंट्स ऑफ जेएनयू’ नामक एक व्हाट्सअप ग्रुप बनाया गया और इमाम उस ग्रुप का मुख्य एवं सक्रिय सदस्य था. पुलिस ने कहा कि चार दिसंबर 2019 को मंत्रिमंडलीय समिति ने नागरिकता संशोधन विधेयक को संसद के दोनों सदनों में पेश करने की मंजूरी दी थी.
ग्रुप इमाम के दिमाग की उपज थी
आरोपपत्र के अनुसार पांच और छह दिसंबर की रात को ‘मुस्लिम स्टूडेंट ऑफ जेएनयू’ (एमएसजे) बनाया गया था और शरजील इमाम उस ग्रुप का मुख्य एवं सक्रिय सदस्य था. यह ग्रुप इमाम के दिमाग की उपज थी. उसमें दावा किया गया कि इमाम और जामिया मिल्लिया इस्लामिया के विद्यार्थी अरशद वारसी के चैट से खुलासा हुआ कि इमाम एसओजे के संपर्क में था और यह भी कि एमएसजे और एसओजे दिल्ली की विभिन्न मस्जिदों में पर्चे बांट रहे थे. पुलिस ने आरोप लगाया कि छह दिसंबर, 2019 को एमएसजे ने इस तरह का पर्चा छपवाया ताकि मुसलमानों में भय और असुरक्षा की भावना पैदा हो.
अरशद वारसी के साथ उसके चैट से खुलासा हुआ
आरोपपत्र में कहा गया है कि चैट से यह भी खुलासा हुआ कि छह दिसंबर, 2019 को बांटे गये पर्चे बाबरी मस्जिद मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय द्वारा नौ नवंबर, 2019को दिये गये फैसले के विरूद्ध थे. ये पर्चे जेएमआई के विद्यार्थियों को लामबंद करने के लिए बांटे गये थे. छह दिसंबर को जामिया मस्जिद और निजामुद्दीन में एमएसजे ने पर्चे बंटवाये और उसका मजमून इमाम ने लिखा था, जिसका एसओजे के अरशद वारसी के साथ उसके चैट से खुलासा हुआ.
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