दिल्ली दंगे: अदालत ने आरोपी को बरी किया, गवाहों की चुप्पी पर पूछे सवाल

दिल्ली की अदालत ने फरवरी में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों से संबंधित मामले में शुक्रवार को एक आरोपी को जमानत देते हुए कहा कि घटना को लेकर दो सप्ताह तक गवाहों की खामोशी से उनकी विश्वसनीयता पर ''गंभीर संदेह'' पैदा होता है.

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nitu pandey
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दिल्ली दंगे: अदालत ने आरोपी को बरी किया, गवाहों की चुप्पी पर पूछे सवाल( Photo Credit : IANS )

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दिल्ली की अदालत ने फरवरी में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों से संबंधित मामले में शुक्रवार को एक आरोपी को जमानत देते हुए कहा कि घटना को लेकर दो सप्ताह तक गवाहों की खामोशी से उनकी विश्वसनीयता पर ''गंभीर संदेह'' पैदा होता है. अदालत ने कहा कि गवाहों ने घटना के दो सप्ताह बाद पुलिस में अपने बयान दर्ज कराए.  अदालत ने कहा कि जब दो पुलिस सिपाही प्रत्यक्षदर्शी थे और उन्होंने आरोपी को दंगा करते देखा था तो उन्होंने उस दिन इसकी शिकायत क्यों नहीं की और अपने वरिष्ठों को इस बारे में क्यों नहीं बताया?

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विनोद यादव ने 25 फरवरी को दयालपुर इलाके में दंगाई भीड़ द्वारा एक दुकान में लूटपाट और तोड़फोड़ किये जाने के मामले में आरोपी इरशाद अहमद को 20, 000 रुपये के मुचलके और इतनी ही जमानत राशि पर जमानत दे दी. शिकायतकर्ता जीशान के अनुसार उसे लगभग 20 लाख रुपये का नुकसान हुआ था. अदालत ने आठ अक्टूबर को पारित अपने आदेश में कहा कि प्राथमिकी में भी अहमद का नाम नहीं था और इस मामले में उसपर कोई विशेष आरोप भी नहीं लगाए गए.

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अदालत ने कहा, ''इस मामले में कांस्टेबल विक्रांत और कांस्टेबल पवन (दोनों प्रत्यक्षदर्शी हैं और घटना के समय अपराध स्थल पर मौजूद थे) के बयानों के अनुसार उन्होंने दंगा कर रहे अहमद और सह-आरोपियों को पहचान लिया था. हालांकि उन्होंने 25 फरवरी 2020 को घटना के दिन कोई शिकायत नहीं की और न ही अपने वरिष्ठ अधिकारियों को इसके बारे में बताया.''

आदेश में कहा गया है कि आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 161 (पुलिस से पूछताछ) के तहत बयान दर्ज कराए जाने तक वे घटना को लेकर पूरी तरह खामोश रहे और छह मार्च, 2020 जांच अधिकारी के समक्ष बयान दर्ज कराते समय अपनी चुप्पी तोड़ी. इससे गवाहों की विश्वसनीयता पर संदेह पैदा होता है.'' अदालत ने यह भी कहा अहमद घटना के सीटीटीवी फुटेज या वायरल वीडियो में भी कहीं दिखाई नहीं दिया. 

Source : Bhasha

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