दिल्ली दंगा: स्पेशल CP प्रवीर रंजन को HC ने दी क्लीन चिट, कोर्ट ने माना- इनपुट के आधार पर दिया था आदेश

दिल्ली हाईकोर्ट ने उत्तर-पूर्व दिल्ली में दंगा मामले में किसी भी गिरफ्तारी के लिए पुलिस टीमों को बेहद सावधानी बरतने के लिए स्पेशल पुलिस कमिश्नर प्रवीर रंजन को पत्र को लेकर क्लीन चिट दे दी है.

author-image
Dalchand Kumar
एडिट
New Update
Delhi High Court

दिल्ली दंगा: स्पेशल CP प्रवीर रंजन को हाईकोर्ट ने दी क्लीन चिट( Photo Credit : फाइल फोटो)

Advertisment

दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High court) ने उत्तर-पूर्व दिल्ली में दंगा मामले में किसी भी गिरफ्तारी के लिए पुलिस टीमों को बेहद सावधानी बरतने के लिए स्पेशल पुलिस कमिश्नर प्रवीर रंजन को पत्र को लेकर क्लीन चिट दे दी है. कोर्ट पुलिस की इस दलील से सहमत हुआ कि विशेष इनपुट के आधार पर पत्र में ये निर्देश दिया गया था. कोर्ट ने कहा कि चार्जशीट पहले ही दायर हो चुकी है और जिस मंशा से ये पत्र लिखा गया है, ऐसे लेकर की गई मीडिया रिपोर्टिंग उसके खिलाफ है. इसके साथ ही हाईकोर्ट ने मीडिया को एहतियात बरतने को कहा है.

यह भी पढ़ें: दिल्ली सरकार ने तैयार की इलेक्ट्रिक व्हीकल पॉलिसी, इन लोगों को देगी आर्थिक मदद

दरअसल, दंगे में मारे गए दो लोगों के परिवार वालों की ओर से पुलिस अधिकारी के इस पत्र पर सवाल उठाया गया था. याचिकाकर्ताओं ने मीडिया रिपोर्ट्स को आधार बनाया था. जिनके मुताबिक स्पेशल सीपी द्वारा जांच टीम के अधिकारियों को हिंदुओं के आक्रोश को देखते हुए गिरफ्तारियों में ध्यान रखने की बात कही गई थी. एक खबर के मुताबिक, विशेष पुलिस आयुक्त ने 8 जुलाई को एक आदेश जारी किया, जिसमें कहा गया कि उत्तर-पूर्वी दिल्ली में दंगा प्रभावित इलाकों से 'कुछ हिंदू युवाओं' की गिरफ्तारी से हिंदू समुदाय के बीच आक्रोश पनप सकता है और गिरफ्तारी करते समय 'सावधानी और एहतियात' बरतनी चाहिए.

इससे पहले 31 जुलाई को इस मामले में सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने विशेष आयुक्त से सवाल पूछा था. न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत ने दिल्ली पुलिस के विशेष आयुक्त (अपराध और आर्थिक अपराध शाखा) प्रवीर रंजन से पूछा था कि अपने अधीनस्थ कर्मचारियों के लिए 8 जुलाई को ऐसा पत्र जारी करने की क्या जरूरत पड़ गई. यह भी पूछा गया था कि क्या पुलिस ने अन्य मामलों में भी ऐसे आदेश जारी किए थे. इस पर आईपीएस अधिकारी ने जवाब दिया कि सावधानी और एहतियात बरतने के लिए अधिकारियों को इस तरह का आदेश जारी करना एक सामान्य प्रक्रिया है.

यह भी पढ़ें: केजरीवाल सरकार का फैसला, अब रात 10 बजे तक खुलेंगी शराब की दुकानें

प्रवीर रंजन ने कहा था कि उनके संज्ञान में जब भी कोई शिकायत या सूचना आती है तो इस तरह का पत्र भेजा जाता है, जैसा कि 8 जुलाई को किया गया. उन्होंने कहा था, 'एजेंसी को खास सूचना मिली थी और जब भी ऐसी सूचना मिलती है हम अपने अधिकारियों को सतर्क कर देते हैं कि जांच के दौरान उन्हें अत्यधिक सावधानी और एहतियात बरतना चाहिए.' अधिकारी ने कहा कि दंगा मामलों के अलावा उन्होंने पूर्व में कई अन्य मामलों में भी ऐसे आदेश जारी किए थे.

उन्होंने कहा था कि दंगों के सारे मामले 8 जुलाई के पत्र के पहले दर्ज हुए थे, इसलिए किसी भी समुदाय के सदस्यों से पक्षपात नहीं हुआ है. उच्च न्यायालय ने रंजन को दो दिन के भीतर ऐसे पांच आदेश या पत्र मुहरबंद लिफाफे में पेश करने को कहा था, जिसे उन्होंने या उनके पूर्ववर्ती अधिकारियों ने ऐसी शिकायत मिलने पर जारी किया था. जिसके बाद मामले में अगली सुनवाई की तारीख 7 अगस्त मुकर्रर की गई थी.

delhi delhi-police Delhi High Court Delhi Riot
Advertisment
Advertisment
Advertisment