दिल्ली की एक अदालत ने फरवरी में सीएए विरोधी प्रदर्शन के दौरान उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई सांप्रदायिक हिंसा से संबंधित मामले में गिरफ्तार पिंजरा तोड़ समूह की सदस्यों देवांगना कालिता और नताशा नरवाल की जमानत याचिकाएं खारिज कर दी हैं.
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत ने 14 जुलाई को जेएनयू की इन दोनों छात्राओं की जमानत याचिकाओं को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि इनमें कोई आधार नहीं है. अदालत ने अपने आदेश में कहा कि आरोपपत्र से यह स्पष्ट हो चुका है कि जांच अभी लंबित है और अन्य आरोपियों के खिलाफ भी आरोपपत्र दायर किया गया है.
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इधर, दिल्ली पुलिस ने हाई कोर्ट को बताया कि मीडिया को जारी प्रेस विज्ञप्ति कोई लीक नहीं है, जैसा कि पिंजरा तोड़ समूह की महिला सदस्य आरोप लगा रही हैं बल्कि यह तथ्यों को स्पष्ट करने के लिए जारी किया गया था.
पिंजरा तोड़ समूह के कुछ सदस्य संशोधित नागरिकता कानून के विरोध में प्रदर्शनों के दौरान हिंसा के मामले में गिरफ्तार किए गए हैं
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