अपनी मांगों को लेकर बीते कई दिनों से सफाईकर्मी हड़ताल पर है. बता दें कि अपने बकाया वेतन की मांग को लेकर सफाई कर्मचारी 12 सितंबर से हड़ताल पर है. साथ ही उनकी ये भी मांग है कि जो सफाई कर्मचारी अनियमित हैं उनकी नौकरी पक्की की जाए और सैलरी नियमित रूप से दी जाए. हड़ताल के कारण पूर्वी दिल्ली में सड़क पर जगह-जगह कूड़े के ढेर लग गए हैं. इस मामले पर केंद्र सरकार ने किसी भी तरह से मदद से इंकार कर दिया है.
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और दिल्ली के उपराज्यपाल की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल मनिंदर सिंह से पूछा था कि क्या वह भी मौजूदा संकट से निपटने के लिए समान राशि जारी कर सकते हैं. इस पर केंद्र सरकार ने कोर्ट को बताया कि वो सफाई कर्मचारियों के बकाया भुगतान के लिए कोई रकम नहीं देगी.
केंद्र सरकार की ओर से ASG मनिंदर सिंह ने कहा कि 'ऐसा कोई संवैधानिक प्रावधान या नियम नहीं है कि केंद्र एमसीडी को ऐसा कोई फंड जारी करें.'
इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने लिखित आदेश में कहा कि हमे उम्मीद थी कि दिल्ली सरकार की तरह केंद्र सरकार भी मानवीय आधार पर ऐसा ही कदम (सफाई ,कर्मचारियों के बकाया भुगतान ) के लिए ऐसा ही कदम उठाएगी, लेकिन ये दुर्भाग्यपूर्ण और त्रासदीपूर्ण है कि केंद्र सरकार ने अपने हलफनामे में कहा गया है कि वो कोई ऐसा पेमेंट करने के लिए तैयार नहीं है.
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पिछली सुनवाई में दिल्ली सरकार ने कोर्ट को बताया था कि वो एमसीडी की सफाई कर्मचारियों की बकाया सैलेरी देने के लिए 500 करोड़ देने के लिए तैयार है.
इस पर कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा था कि क्या केंद्र सरकार भी इतनी ही रकम देने को तैयार है? इसके जवाब में ASG ने आज कोर्ट को इसकी जानकारी दी.
अब दिल्ली सरकार के हलफनामे के जवाब में केंद्र सरकार को 24 अक्टूबर तक हलफनामा दाखिल करना है.
Source : News Nation Bureau