लोकसभा और राज्यसभा में नागरिकता संशोधन बिल पास होने के बाद इसका विरोध प्रदर्शन जारी है. पूर्वोत्तर में इसका जमकर विरोध किया जा रहा है. असम के कई इलाकों में उग्र प्रदर्शन जारी है. इस प्रदर्शन में कई सरकारी संपत्तियों को निशाना बनाया जा रहा है. कई बसों को आग के हवाले कर दिया गया है. पूर्वोत्तर के बाद अब देश की राजधानी दिल्ली में भी इसका विरोध किया जा रहा है.
नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्रों के मार्च को संसद तक रोकने के लिए दिल्ली पुलिस ने लाठी चार्ज की है. दिल्ली पुलिस ने पहले पानी की बौछार और आंसू गैस के गोले छोड़े. अब यूनिवर्सिटी कैंपस के गेट नंबर 1 के करीब लाठीचार्ज हुआ. जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के छात्रों ने शुक्रवार को इस बिल का विरोध किया. छात्र-छात्राएं सड़क पर उतरकर जमकर प्रदर्शन किया. मौके पर भारी संख्या पुलिस भी मौजूद रही. काफी संख्या में छात्र प्रदर्शन कर रहे थे. बैरिकोड के ऊपर छात्र-छात्राएं चढ़कर उग्र प्रदर्शन कर रहे थे. पुलिस छात्रों को टांग कर मौके से हटाने की कोशिश कर रही थी. भीड़ को तीतर-बितर करने के लिए भारी संख्या में पुलिस तैनात थी.
क्या है नागरिकता संशोधन विधेयक?
जो बिल अब कानून बन गया है, वह नागरिकता अधिनियम 1955 में बदलाव करेगा. इसके तहत बांग्लादेश, अफगानिस्तान और पाकिस्तान से आए हिंदू, बौद्ध, सिख, जैन, पारसी और ईसाई धर्मों के शरणार्थियों के लिए नागरिकता के नियमों को आसान बनाना है. जो गैर-मुसलमान लोग धर्म के आधार पर उत्पीड़न के शिकार हुए और जान बचाने के लिए अपने देश छोड़कर भारत में दाखिल हुए, उन्हें सुरक्षा देना और भारत का नागरिक बनाया जा सकता है.
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इस संशोधन बिल का मुख्य उद्देश्य गैर-मुसलमान अवैध प्रवासियों को भारतीय नागरिकता लेने के लिए छूट देना है. इस बिल से शरणार्थियों को नागरिकता प्रदान करने से संबंधित नियमों में बदलाव किया गया है. भारतीय नागरिकता लेने के लिए अब यहां उन्हें कम से कम 6 साल बिताने होंगे. इससे पहले नागरिकता देने का पैमाना 11 साल से अधिक था. इस संशोधन के तहत ऐसे अवैध प्रवासीय, जो 31 दिसंबर 2014 की तारीख तक भारत में प्रवेश कर चुके थे, वे भारतीय नागरिकता के लिए सरकार के पास आवेदन कर सकते हैं.
Source : न्यूज स्टेट ब्यूरो