उत्तर-पूर्वी दिल्ली के एक कॉलोनी में भीड़ को रोकने के लिए हिंदू, मुस्लिम, सिख हुए एकजुट

उत्तर-पूर्वी दिल्ली में इस सप्ताह की शुरुआत में हुई सांप्रदायिक हिंसा से फैली दहशत के बीच इस क्षेत्र के एक कॉलोनी के हिंदू, मुस्लिम और सिख लोग एकजुट होकर उन्मादी भीड़ के खिलाफ खड़े हुए हैं.

author-image
Deepak Pandey
New Update
delhiprotest

दिल्ली में हिंसा( Photo Credit : फाइल फोटो)

Advertisment

उत्तर-पूर्वी दिल्ली में इस सप्ताह की शुरुआत में हुई सांप्रदायिक हिंसा से फैली दहशत के बीच इस क्षेत्र के एक कॉलोनी के हिंदू, मुस्लिम और सिख लोग एकजुट होकर उन्मादी भीड़ के खिलाफ खड़े हुए हैं और इलाके में पहरेदारी करते हैं. दंगे के दौरान पास के इलाकों में बड़ी संख्या में घरों, दुकानों और वाहनों में तोड़फोड़ की गई और उनमें आग लगा दी गई थी. चार दिनों तक चली हिंसा के बाद स्थिति धीरे-धीरे सामान्य हो रही है, फिर भी लोगों ने अपनी सतर्कता कम नहीं होने दिया है. हिंसा में कम से कम 42 लोगों की जान चली गई और 200 से ज्यादा लोग घायल हो गए. यमुना विहार के बी-ब्लॉक कॉलोनी के एक तरफ हिंदू बहुल भजनपुरा है, तो दूसरी तरफ मुस्लिम आबादी वाला घोंडा स्थित है.

पेशे से एक दंत चिकित्सक आरिब ने कहा कि इलाके के सभी धर्मों के लोग रात में अपने-अपने घरों के बाहर बैठते हैं और किसी भी संदिग्ध बाहरी व्यक्ति से निपटते हैं. उन्होंने कहा, ‘‘भीड़ के नारेबाजी करने से रात में दहशत का माहौल बनता है. इस तरह के नारे दोनों ओर से लगते रहे और हमने सुना कि लोगों के समूह हमारे क्षेत्र की ओर बढ़ रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘‘यह वह जगह है जहां हम मुस्लिम स्थानीय लोगों को बाहर से आने वाले मुस्लिम समूहों और हिंदू निवासियों को हिंदू समूहों से निपटने देते हैं.’’ सोमवार और मंगलवार को हिंसा जब अपनी चरम स्थिति में पहुंच गई थी, तब व्यवसायी, चिकित्सक और सरकारी कार्यालयों में काम करने वाले लोग एकजुट होकर बाहर निकले और चौबीसों घंटे इलाके की रखवाली की. इससे पहले, स्थानीय लोगों ने क्षेत्र में अपर्याप्त पुलिस तैनाती का दावा किया था, लेकिन पिछले दो दिनों में सुरक्षा कर्मियों की गश्त से संतुष्ट हैं.

एक परिवहन कंपनी के मालिक व सिख समुदाय से आने वाले चरणजीत सिंह ने कहा कि निवासियों ने यह सुनिश्चित किया है कि रात में कॉलोनी की सुरक्षा के लिए बहुत सारे लोग इकट्ठा न हों. यह तय किया गया है कि लाठी या छड़ का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए. यह ऐसा विचार जो शांति बनाए रखने में काम आया है. पचास के आसपास की उम्र वाले सिंह ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘मैं 10 साल का था जब हम 1982 में उत्तर प्रदेश के मेरठ से इस इलाके में आए थे. 1984 में दंगे हुए और 2002 में भी बहुत तनाव रहा था, लेकिन तब भी हमारा इलाका शांत रहा. हम हमेशा एकजुट रहे हैं और इसी तरह से हमने अब भी एक-दूसरे की मदद की है. तीस वर्ष के करीब उम्र वाले एक व्यवसायी फैसल ने कहा कि दो दिनों की भयावह हिंसा के बाद क्षेत्र में काफी तनाव है.

उसने कहा, ‘‘इलाके में कोई भी बुधवार और गुरुवार को भी सो नहीं सका जब तक कि स्थिति को नियंत्रित किया गया.’’ सत्तर वर्षीय वी के शर्मा ने कहा कि उनकी कॉलोनी के लोगों को कभी भी एक-दूसरे से कोई परेशानी नहीं हुई. उन्होंने उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हिंसा के लिए ‘‘बाहरी तत्वों’’ को दोषी ठहराया. कॉलोनी के निवासी व एक संपत्ति सलाहकार शिव कुमार और एक सरकारी अधिकारी वसीम ने कहा कि वे भी कॉलोनी की इस स्वैच्छिक पहरेदारी दल के सदस्य हैं, जो रात में दंगाइयों का सामना करने के लिए जागते रहते हैं. 

Source : Bhasha

delhi-police Hindu-Muslim Delhi Violecne
Advertisment
Advertisment
Advertisment