दिल्ली पुलिस की सिक्योरिटी यूनिट के सुरक्षा कर्मियों का "साज सज्जा" की तरह इस्तेमाल बंद करवा दिया गया है और 500 से ज्यादा पुलिसकर्मियों को पूर्व पुलिस अधिकारियों, मौजदा अधिकारी, पूर्व जजों और कई राजनेताओं की सिक्योरिटी से वापस बुला लिया गया है. स्पेशल सेल के एक डीसीपी समेत कुछ पुलिस अधिकारियों की मौजूदा सिक्योरिटी ग्रेड को कम किया गया है, यही नहीं जिन की सिक्योरिटी घटाई गई है उसमें हाल में दिल्ली पुलिस कमिश्नर के पद से रिटायर हुए एस.एन. श्रीवास्तव भी शामिल हैं, श्रीवास्तव जब स्पेशल सेल की कमान संभाल रहे थे तभी उन्हें जेड श्रेणी की सुरक्षा मिली थी और अभी तक चली जा रही थी, उनकी सिक्योरिटी को जेड से एक्स श्रेणी में बदल दिया गया है जिसमें सुरक्षाकर्मियों की संख्या काफी कम रह गई है.
मौजूदा कमिश्नर राकेश अस्थाना के इस आदेश के पीछे की वजह यह बताई जा रही है कि सिक्योरिटी विंग में पहले से स्टाफ की कमी है, अब 500 से ज्यादा पुलिसकर्मियों के वापस आने से कानून व्यवस्था और सुरक्षा में उन्हें तैनात किया जाएगा. दरअसल, पुलिस कमिश्नर के आदेश पर सिक्योरिटी यूनिट के एक ऑडिट से पता चला कि सैकड़ों कर्मियों को पूर्व आयुक्तों, सेवानिवृत्त अधिकारियों और न्यायाधीशों के साथ-साथ राजनेताओं के साथ रखा गया है, जिनकी सिक्योरिटी थ्रेट का पिछले कुछ सालों से ऑडिट नहीं हुआ है, ऑडिट के बाद पाया गया कि अब उन्हें उतना खतरा नहीं है जितना एक समय पर जरूरत समझी गई थी, इस आधार पर उनका सिक्योरिटी ग्रेड कम कर दिया गया या सिक्योरिटी वापस ले ली गई.
सूत्रों के अनुसार पुलिस हेड क्वार्टर ने सुरक्षा यूनिट को निर्देश दिया है कि वे अब उन लोगों को सुरक्षा मुहैया कराएं जिनके लिए गृह मंत्रालय या अदालतों ने सुरक्षा का आदेश दिया है. जिन लोगों की सुरक्षा घटाई गई है उनमें स्पेशल सेल के अधिकारी भी शामिल हैं. सूत्रों ने कहा कि कई पुलिस आयुक्तों ने कवर वापस लेने पर अपनी आपत्ति दर्ज कराने के लिए दिल्ली पुलिस मुख्यालय में वरिष्ठ अधिकारियों को फोन किया, लेकिन उन्हें दरकिनार कर दिया गया. एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के अनुसार , सिक्योरिटी यूनिट में पहले से स्टाफ की कमी है, ऑडिट में यह भी पाया गया कि कई सुरक्षाकर्मी पहले से उन पुलिस अधिकारियों या न्यायाधीशों से जुड़े थे, जब वे सेवारत थे, लेकिन सेवानिवृत्ति या स्थानांतरण के बाद भी उन्हें वही सुरक्षा कवर जारी रहा। सुरक्षा का आकलन दो-तीन साल से नहीं किया गया था. गृह मंत्रालय के नियमों के अनुसार, सुरक्षा प्रदान करने वाली एजेंसी को हर छह महीने में खतरे का आकलन करना होता है, ताकि सिक्योरिटी पर पुनर्विचार किया जा सके.
पूर्व एडिशनल सेशन जज और न्यायाधीश राजेंद्र शास्त्री ने बताया कि एक अंडरवर्ल्ड डॉन का केस उनके पास ट्रांसफर हुआ था तो वरिष्ठ अधिकारियों ने उन्हें सिक्योरिटी ऑफर की थी, लेकिन उन्होंने सिक्योरिटी कवर लेने से मना कर दिया था आवश्यकता नहीं जान कर. किंतु जैन जज साहब के पास से अंडरवर्ल्ड डॉन का केस ट्रांसफर हुआ था उनका सिक्योरिटी कवर बाद में भी जारी रहा. पूर्व डीसीपी स्पेशल सेल एल. एन. राव कहते हैं कि स्पेशल सेल डीसीपी रहते हैं उन्हें भी सुरक्षा दी गई थी लेकिन आवश्यकता नहीं रहने पर उन्होंने सुरक्षा कवर वापस कर दिया, नहीं सीपी राकेश अस्थाना का यह कदम बेहद जरूरी था, बहुत सारे पूर्व अधिकारी पूर्व न्यायधीश और नेता सिक्योरिटी कवर को दिखावे की तरह इस्तेमाल कर रहे थे, ऐसे पांच सौ से ज्यादा पुलिसकर्मी सिक्योरिटी कवर से वापस बुला लिए गए हैं और अब उनके जरिए कानून व्यवस्था को संभाला जाएगा.
Source : Avneesh Chaudhary