दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने महिलाओं के लिए दिल्ली मेट्रो और बस में निशुल्क यात्रा का ऐलान किया है. केजरीवाल सरकार ने यह योजना आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर लाई है. ताकि महिला वोट को अपनी तरफ ला सके. दिल्ली में अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाला है. जहां इस योजना पर कई लोग ऊंगली उठा रहे हैं. वहीं दिल्ली में कुछ ऐसे क्षेत्र हैं जहां तपती गर्मी में पीने के लिए पानी नहीं है. लोगों को टैंकर के भरोसे रहना पड़ रह है. टैंकर कभी आता है तो कभी नहीं. सड़क की जो समस्या है उसका अभी तक समाधान नहीं हो पाया. कहीं नाले की समस्या तो कहीं सीवर की. कुल मिलाकर दिल्ली में कई मूलभूत समस्याएं हैं. जो स्थायी समस्या बन चुकी है. जिसका समाधान अभी तक नहीं हुआ. केजरीवाल सरकार का पांच वर्षीय कार्यकाल अभ खत्म होनेवाला है. लेकिन दिल्ली की जनता अभी भी मूलभूत समस्याओं से जूझ रही है.
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इस योजना को लागू कराने में दिल्ली सरकार को 700 से 800 करोड़ रुपये खर्च करने होंगे. वहीं विशेषज्ञों का कहना है कि इसकी लागत 1500 से 2 हजार करोड़ रुपये तक जा सकती हैं. वहीं इस बार दिल्ली सरकार का वर्तमान बजट 60 हजार करोड़ रुपये का है. हालांकि सरकार इस खर्च को उठा सकती है. लेकिन सवाल यह है कि सरकार को इस तरफ इतना खर्च करना चाहिए या दिल्ली में मूलभूत समस्याओं के समाधान पर ? मेरा मानना है कि केजरीवाल सरकार दिल्ली मेट्रो के बजाय अगर मूलभूत समस्या के समाधान पर ध्यान देते तो उनको इस तबके का वोट ज्यादा मिलने की संभावना थी. दिल्ली मेट्रो में गरीब तबके के लोग सफर करने में सक्षम नहीं है. इसमें वही लोग सफर कर रहे हैं, जो इसके किराया को एफर्ट कर सकते हैं. कई महिलाएं भी इस योजना के पक्ष में नहीं हैं.
पानी की किल्लत
दिल्ली में कई ऐसे इलाके हैं जहां पानी की समस्या है. जुलहान बस्ती, प्रताप नगर, हैदर कुल, चांदनी चौक, आनंद पर्वत, नबी करीम, पटेल नगर, नांगलोई, बवाना, नरेला, बाजितपुर, ठाकरान, जनकपुरी, तिलक नगर, बदरपुर, जैतपुर, संगम विहार आदि में पानी की समस्या है. दिल्ली जल बोर्ड दिल्ली सरकार के अधीन होने के बावजूद ये हालत है.
लोग बोतल खरीद कर पानी पीने के लिए मजबूर हैं.
संगम विहार समेत कई इलाकों की बदहाल स्थिति
संगम विहार की स्थिति बहुत ही खराब है. थोड़ी सी बारिश होने पर आवाजाही ठप्प हो जाती है. वर्षों से सीवर लाइन का काम चल रहा है, लेकिन विभाग धूल फांक रही है. कोई सूध लेने वाला नहीं है. पक्की सड़क नहीं होने से लोग धूल भरी हवा में सांस लेने को मजबूर हैं.
हल्की बारिश में तैरती दिल्ली
दिल्ली में हल्की बूंदाबांदी भी होती है तो जलभराव की समस्या उत्पन्न हो जाती है. पानी के बहाव का कोई समाधान नहीं है. लोग बारिश में तैरने को मजबूर हो जाते हैं.
झुग्गी-झोपड़ी का अब तक कोई समाधान नहीं
दिल्ली में कई झुग्गियों हैं, अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री बनते ही घोषणा की थी कि सभी झुग्गी वाले को पक्का घर मिलेगा. इसपर अभी तक कुछ नहीं हुआ. नर्क की जिंदगी जीने पर मजबूर हैं.
कालोनी में पक्की सड़क का अभाव
दिल्ली में कई कालोनी में पक्की सड़क नहीं है. बरसात में कच्ची सड़क पर कीचड़ जमा हो जाता है. वहीं अन्य मौसम में धूल से लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है.
दिल्ली गंदगी में नंबर 1
दिल्ली को सबसे प्रदूषित शहर के रूप में घोषित किया गया है. यहां बहुत गंदगी है.
जाम का कोई स्थायी समाधान नहीं
जाम तो दिल्ली में अब आम हो गया है. सरकार के पास अभी तक इसका कोई स्थायी समाधान नहीं है.
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जहां इतनी समस्या है वहां निशुल्क यात्रा की योजना रास नहीं आता है. सिर्फ वोट बैंक के लिए आप ऐसा कर रहे हैं तो यह गलत है. महिला सुरक्षा अगर केजरीवाल सरकार की प्राथमिकता है तो उन्होंने अभी तक सीसीटीवी कैमरा नहीं लगाई. डीटीसी बस की स्थिति में सुधार नहीं किया. महिलाएं मेट्रो में चढ़ना चाहेंगी या टैंकर से पानी भरने के लिए होने वाली लड़ाई से बचना चाहेंगी. फैसला आपके हाथ में है.
HIGHLIGHTS
- दिल्ली मेट्रो में फ्री सफर करेंगी महिलाएं
- मुख्यमंत्री ने दी सौगात, मूलभूत समस्याओं पर ध्यान नहीं
- दिल्ली में पानी की किल्लत
Source : Sushil Kumar